नाहन, 23 फरवरी : हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम ( Himachal Road Transport Corporation) की बसों के यात्रियों से हाईवे पर ढाबों में कथित लूट खसूट की शिकायत अक्सर सामने आती हैं। इसी बीच कालाअंब-अंबाला-चंडीगढ़ हाईवे पर ‘‘वाटिका पंजाबी ढाबा’’ में एक सूचना पट्ट बरबस ही यात्रियों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। इसमें इंडियन आर्मी ऑन डयूटी (Indian Army on Duty) को 50 फीसदी डिस्काउंट के अलावा बच्चों का खाना व दूध फ्री उपलब्ध करवाने की बात लिखी गई है।

इसके अलावा भारतीय सेना (Indian Army) में तैनात जवानों को निशुल्क चाय (Tea) दी जाती है। यही नहीं, 70 साल के बुजुर्गों (Elders) के लिए फ्री खाने (Free Food) की व्यवस्था है। हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम के साथ-साथ उत्तराखंड की बसें भी ढाबे पर कतारबद्ध नजर आती है। एचआरटीसी की सामान्य बसों (Bus) के यात्रियों (Passengers) के लिए थाली की कीमत 80 रुपए निर्धारित है, जबकि वॉल्वो बसों (Volvo Buses) के लिए थाली का दाम 180 रुपए निर्धारित किया गया है।
बोर्ड पर शिकायत करने के लिए निगम के संपर्क नंबर भी दर्शाए गए हैं। यानि, यात्री को कोई शिकायत हो तो निगम के मुख्यालय में शिकायत दर्ज की जा सकती है। हिमाचल के कालाअंब से नारायणगढ़ (Narayangarh) की तरफ ये ढाबा 2-3 किलोमीटर आगे स्थित है। ढाबे का संचालन हरियाणा के कुरुक्षेत्र के रहने वाले सतीश चौधरी कर रहे हैं।
कुल मिलाकर बसों के यात्री ही इस बात को पुख्ता कर सकते हैं कि ढाबे में प्रदर्शित सूचना पट्ट का कितना लाभ उन तक पहुंचता है। मगर ये तय है कि देहरादून-चंडीगढ़ हाईवे पर ये ढाबा एक अलग ही पहचान बना रहा है।
ढाबे की फिल्मी कहानी…
हालांकि, ढाबे का संचालन कर रहे सतीश चौधरी प्रचार व प्रसार के लिए तैयार नहीं थे, लेकिन बातों-बातों में ढाबे (Dhaba) को खोलने की जो कहानी बताई, वो बेहद ही फिल्मी (filmi Story) है। एमबीएम न्यूज नेटवर्क के प्रतिनिधि से साझा करते हुए कहा कि करीब 8 साल पहले देहरादून आए थे। यहां से चंडीगढ़ जाना चाहते थे।
पांवटा साहिब पहुंच कर पहले यमुनानगर (Yamunanagar) हाईवे पर जाने की सोची। मन बदला तो कालाअंब हाईवे (kala amb Highway) चुन लिया। कालाअंब से कुछ आगे निकलने के बाद एक ढाबे में रुक गए। बस के यात्रियों से अच्छा व्यवहार नहीं किया जा रहा था। कुछ मीटर आगे एक चाय की दुकान में रुके, दुकानदार से एक अच्छा ढाबा खोलने का आग्रह किया।
सतीश ने कहा कि वो नहीं जानते थे कि उस समय वो हिमाचल (Himachal) में हैं या हरियाणा में। चाय बेचने वाले से ढाबा खोलने के लिए जमीन मांगी। उस समय तो मना कर दिया, लेकिन एक साल बाद वो जमीन देने के लिए राजी हो गया। एक साल तक रात 9 बजे के बाद सबको निशुल्क खाना ही खिलाया। दावा ये भी है कि एचआरटीसी के सूचीबद्ध ढाबों में आने के लिए कभी भी निजी कोशिश नहीं की। दावा ये भी है कि ढाबे में काम करने वाला हरेक कर्मचारी प्रतिमाह न्यूनतम 15 हजार रुपए कमाता है।
एक अहम बात में ढाबा संचालक का ये भी कहना था कि जर्मनी की सिटीजनशिप भी है। लेकिन यहां काम कर एक अलग ही सुकून मिल रहा है।
हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम के नाहन डिपो के क्षेत्रीय प्रबंधक संजीव विष्ट को यात्रियों के लिए हाईवे पर चिन्हित ढाबे के सिलसिले में कॉल की गई…वो समझे, ओवरचार्जिंग को लेकर शिकायत होगी। उनका कहना था कि नेकी कर दरिया में डाल देना चाहिए।
ये बोले क्षेत्रीय प्रबंधक….
नाहन डिपो के क्षेत्रीय प्रबंधक संजीव विष्ट का कहना था कि अक्सर ही ढाबों में ओवरचार्जिंग की शिकायत मिलती है। ये अच्छी बात है कि निगम द्वारा चिन्हित ढाबा कुछ हटकर करने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि ‘वाटिका पंजाबी ढाबा’ द्वारा निगम के यात्रियों को रियायती दरों पर उच्च गुणवत्ता का खाना भविष्य में परोसा जाएगा।