मंडी, 21 फरवरी : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी (IIT Mandi) के शोधकर्ताओं ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग (एआई एंड एमएल) का उपयोग करके एक नया एल्गोरिदम विकसित किया है, जिससे प्राकृतिक आपदाओं के पूर्वानुमान को अधिक सटीक बनाया जा सकता है।

आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ सिविल एंड एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग (School of Civil and Environmental Engineering) के एसोसिएट प्रोफेसर डा. डेरिक्स प्रेज शुक्ला और तेल अबीब यूनिवर्सिटी (इजराइल) के डा.शरद कुमार गुप्ता द्वारा विकसित इस एल्गोरिदम से भूस्खलन संवेदी मैपिंग संबंधी डेटा असंतुलन की चुनौतियों से निपटा जा सकता है। इनके अध्ययन के परिणाम हाल ही में लैंडस्लाइड पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं।
भूस्खलन से दुनियाभर में पर्वतीय क्षेत्रों में अक्सर घटने वाली आपदा होती है, जिसके कारण जानमाल का काफी नुकसान होता है। खतरों का अनुमान लगाने और इससे निपटने के लिए ऐसे क्षेत्रों की पहचान करना जरूरी है जो भूस्खलन संवेदी हों। भूस्खलन संवेदी मैपिंग (एलएसएम) से ढ़लान, उठान, भू गर्भ विज्ञान, मिट्टी के प्रकार, भ्रंशों से दूरी, नदियों एवं भ्रंश क्षेत्र और ऐतिहासिक भूस्खलन आंकड़े जैसे कारक तत्वों के आधार पर एक विशिष्ट क्षेत्र में होने वाले भूस्खलन के होने की संभावना के संकेतक होते हैं।
भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं का अनुमान लगाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) का उपयोग काफी महत्वपूर्ण हो गया है। इससे कठिन मौसम संबंधी घटनाओं का अनुमान लगाने, आपदा का मानचित्र तैयार करने, वास्तविक आधार पर घटनाओं का पता लगाने, स्थिति के अनुरूप जागरूकता फैलाने और निर्णय करने में सहयोग मिल सकता है।