नाहन, 21 फरवरी : हिमाचल प्रदेश की धरती पर टाइगर (Tiger) की पहली तस्वीर ट्रैप कैमरे में कैद हो गई है। पांवटा साहिब घाटी के शेरजंग नेशनल पार्क (Sherjung National Park) में वन्य प्राणी विभाग के कर्मियों की अथक कोशिश व मेहनत रंग लाई है। 19 फरवरी की सुबह 1: 45 बजे टाइगर कैमरे के सामने से गुजरा। यही वो पल था, जब टाइगर की पहली तस्वीर कैमरे में कैद हुई।

नेशनल पार्क से तकरीबन आधा किलोमीटर बाहर 16 जनवरी 2023 को टाइगर के पदचिन्ह (Pugmark) रिपोर्ट हुए थे। इसक बाद से ही वन्य प्राणी विभाग (Wildlife Department) उन पलों का इंतजार कर रहा था, जब शालीन, दृढ़ व अपार शक्ति वाले टाइगर की तस्वीर क्लिक हो सके। इसके लिए विभाग ने टाइगर के संभावित ट्रैक पर 8 ट्रैप कैमरे इंस्टाॅल किए थे। चूंकि अब नेशनल पार्क में टाइगर की मौजूदगी कन्फर्म हो चुकी है, लिहाजा विभाग और अधिक उत्साहित हो उठा है।
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पदचिन्ह मिलने के एक महीने बाद भी टाइगर की मौजूदगी मायने रखती है। इसका मतलब ये है कि टाइगर को साल के जंगल की आबोहवा रास आ गई है, साथ ही भोजन भी उपलब्ध हो रहा है। इलाका पसंद न आने की सूरत में टाइगर यमुना नदी को पार करने के बाद वापस उत्तराखंड भी लौट सकता था।
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गौरतलब है कि नेशनल पार्क में सांभर, चितल, घोरल, काकड़, हिरण, बारहसिंगा, माहा व अन्य प्रजातियों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। हिरण की प्रजातियां खास तौर पर टाइगर की पसंदीदा खुराक होती हैं। विशेषज्ञों का ये भी मानना है कि टाइगर ने नेशनल पार्क में शिकार भी किया होगा।
पांवटा साहिब से शिमला तक विभाग के कर्मचारियों व अधिकारियों में खासा उत्साह है। हालांकि, टाइगर के पदचिन्ह 2005 में भी मिले थे, लेकिन प्रमाणिक तौर पर तस्वीर पहली बार ही रिपोर्ट हुई है। 27.88 वर्ग किलोमीटर में फैले नेशनल पार्क के साथ ही हरियाणा का कलेसर राष्ट्रीय उद्यान (Kalesar National Park) भी सटा हुआ है।
बताते हैं कि हिमाचल में आशियाने के दौरान टाइगर ने धौलाकुआं तक का इलाका भी नापा है। विभाग को लगातार पदचिन्ह मिल रहे हैं। रियासतकाल के वक्त सिंबलवाड़ा का इलाका सिरमौर के राजाओं का एक पंसदीदा शिकारगाह रहा है।
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ऐसी भी धारणा है कि कालाअंब-देहरादून हाईवे (Kalaamb-Dehradun Highway) पर कटासन देवी में स्थित माता के मंदिर तक टाइगर 80 के दशक की शुरूआत तक आया करता था। ये अलग बात है कि इसके प्रमाण मौजूद नहीं हैं। पहाड़ी प्रदेश में केवल पांवटा घाटी ही एक ऐसा इलाका है, जहां टाइगर के आने की संभावना रहती है।
दिलचस्प ये है कि श्री रेणुका जी में टाइगर के जोड़े को लाने के लिए लंबे अरसे से कवायद चल रही है। केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (Central Zoo Authority) ने बाडे़ के निर्माण की मंजूरी दे दी है। दिलचस्प ये है कि कुदरत ने 2023 के आगमन पर प्रदेश को राष्ट्रीय पशु (National Animal) के तौर पर चिन्हित टाइगर की सौगात हिमाचल को दी है।
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ये बोले डीएफओ…
शिमला मंडल के वाइल्ड लाइफ डीएफओ रविशंकर ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में कहा कि ये जानकर बेहद ही अच्छा लगा कि कर्मचारियों की मेहनत रंग लाई। आखिर में बाघ की तस्वीर क्लिक हो गई। एक सवाल के जवाब में डीएफओ ने माना कि पहली बार हिमाचल प्रदेश में टाइगर की तस्वीर क्लिक हुई है।
उन्होंने बताया कि वन परिक्षेत्र अधिकारी सुरेंद्र सिंह के नेतृत्व में वनरक्षक अंकुश ठाकुर ने टाइगर की मौजूदगी को प्रमाणित किया है।
ऐसा भी अनुमान…
पड़ोसी राज्य राजा जी अभ्यारण के आसपास सड़कों व रेलवे नेटवर्क बढ़ रहा है। मानव बस्तियों में भी इजाफा हुआ है। सिंबलवाड़ा नेशनल पार्क का जुड़ाव भी प्रभावित हुआ है। इस कारण टाइगर के लंबे इलाके तक घूमने की संभावनाएं भी कम हो रही हैं।
वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि राजा जी नेशनल पार्क (Raja Ji National Park) के पश्चिमी हिस्से से बाघों की आवाजाही को संरक्षित किया जा सकता है। तीन राज्यों के व्यापक परिदृश्य पर प्रोजेक्ट भी बनाया जा सकता है।