शिमला, 19 फरवरी : हिमाचल प्रदेश में चंद रोज से एक नंबर (HP99-9999) ट्रेंड कर रहा है। आलम ये है कि इसकी चर्चा राज्य से बाहर भी होने लगी है। इसी बीच सूबे के ट्रांसपोर्ट मंत्री मुकेश अग्निहोत्री का बयान सामने आया है। इसके मुताबिक यदि सबसे ऊंची बोली देने वाला ‘देशराज’ रकम जमा करवाने के बाद नंबर नहीं लेता है तो आपराधिक मामला दर्ज किया जाएगा।

बता दें कि एसडीएम कार्यालय कोटखाई से जारी होने वाले इस नंबर की बोली एक करोड़ 12 लाख में हुई थी। चूंकि ये पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन (Online) ही होती है, लिहाजा बोली कंपलीट (complete) होने के बाद बोलीदाता के नाम का पता तो चल गया, साथ ही स्कूटी को बेचने वाले डीलर का भी खुलासा हुआ है।
तीन बोलीदाताओं ने इस नंबर के लिए एक करोड़ से अधिक की बोली लगाई है। बताया जा रहा है कि ट्रांसपोर्ट विभाग (Transport Department) ने इन बोलीदाताओं के एड्रेस की जानकारी हासिल कर ली है। गौरतलब है कि उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री पर ही परिवहन विभाग की जिम्मेदारी भी है।
हालांकि, विभागीय पुष्टि उपलब्ध नहीं हुई है, लेकिन बताया जा रहा है कि उप मुख्यमंत्री ने विभाग को निर्देश जारी किए हैं कि यदि नंबर अलाॅट नहीं होता है तो संबंधित लोगों के खिलाफ सरकारी सिस्टम (government systems) के दुरुपयोग व जानबूझ कर धोखाधड़ी का केस दर्ज किया जाए। पहले एसडीएम के स्तर पर जांच की जाएगी, इसके बाद मामला पुलिस को सौंपा जाए।
उप मुख्यमंत्री के बयान को लेकर ट्रांसपोर्ट विभाग में अंदर खाते किन्तु-परंतु का दौर भी शुरू हो चुका है। इसमें तर्क दिया जा रहा है कि सरकारी सिस्टम में यदि कोई कमी है तो देशराज का क्या कसूर। कठोर कार्रवाई से पहले 9 दिन का इंतजार बनता है, क्योंकि तीनों बोलीदाताओं को ऑनलाइन अदायगी के लिए तीन-तीन दिन का समय मिलना है।
अलबत्ता ये जरूर है कि इस मामले ने वीवीआईपी नंबरों की ऑनलाइन ऑक्शन को लेकर विसंगतियों को दूर करने की सलाह दे डाली है। पहले ही धरोहर राशि का प्रावधान होता तो ऑनलाइन सिस्टम का दुरुपयोग ही नहीं होता।
उल्लेखनीय है कि एक करोड़ 12 लाख 15 हजार 500 रुपए की बोली लगाने वाले देशराज ने बद्दी के राजवीर ऑटो से स्कूटी को खरीदा है। ऐसी भी संभावना जताई जा रही है कि उद्योगपति द्वारा ये नंबर हासिल करने के लिए बोली लगी हो। वीवीआईपी नंबर को हासिल करने के लिए तीन बोलीदाताओं ने एक करोड़ से अधिक की बोली लगाई है। देशराज के अलावा एक अन्य व्यक्ति ने भी बाइक के लिए नंबर मांगा है, जबकि एक ने ये नंबर कार के लिए अप्लाई किया है।
इस नंबर की बोली के लिए 26 ने ऑनलाइन आवेदन किया था। सरकार की 26 हजार की आमदनी कन्फर्म है, क्योंकि हरेक आवेदन पर 1000 की राशि नॉन रिफंडेबल होती है।
कुल मिलाकर सवाल ये है कि नंबर न लेने की सूरत में बोलीदाताओं के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज होना चाहिए या नहीं।