राजगढ़, 19 फरवरी : उपमंडल के पझौता व रासूमांदर क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के व्यंजन तैयार करके महाशिवरात्रि पारंपरिक ढंग से मनाई गई। लोगों ने अपने घरों में शिव विवाह के चित्र के समक्ष चंदूआ बनाकर पारपंरिक पूजा अर्चना की।
बता दें कि चंदूआ को बेलपत्र, पाजा, भांग इत्यादि के पत्ते पिरोकर बनाया जाता है। इसके अतिरिक्त शिवजी, पार्वती और गणेश के लिए आटे के तीन रोट बनाए जाते हैं। इसी प्रकार शिव पार्वती के चित्र के समक्ष आटे के बकरे व भेडू बनाकर सजाए जाते हैं। तदोंपरात एक कड़छी में आग डालकर उसमें पाजा, बिल्वपत्र के पत्ते व देसी घी डाल कर पूजा की जाती है। पूजा अर्चना के उपरांत व्रतधारी भोजन ग्रहण करते हैं।

गौर रहे कि राजगढ़ ब्लाॅक के पझौता व रासूमांदर क्षेत्र का कल्चर सीमा पर लगते जिला शिमला के ठियोग क्षेत्र से मिलता-जुलता है। क्योंकि अपर शिमला में वर्ष का सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है। इस त्यौहार पर बनाए गए पहाड़ी व्यंजन जैसे पकेन, सणसे, पूड़े, पटांडे, सीडडू, पीसे हुए उड़द से तैयार किए हुए विभिन्न प्रकार के पकवान को लोग अपनी बेटियों और बहनों को देने की पुरातन परंपरा निभाते है, जिसे स्थानीय भाषा में बासी कहा जाता है। यह परंपरा बदलते परिवेश में भी कायम है। केवल अंतर इतना है कि अतीत में लोग किलटू में पकेन इत्यादि पैदल चलकर पहूंचाया करते थे, परंतु अब इस बासी को बेग में डालकर ले जाते है।
इसी प्रकार राजगढ़ के राधा कृष्ण में भी शिवरात्रि के अवसर पर लोगों ने शिव भगवान के नाम पर तैयार किए गए घोटे के खूब चटाकारे लगाए। विवेक सूद ने बताया कि बाजार के युवा पैसे एकत्रित करके शिवजी का घोटा तैयार किया गया, जिसका क्षेत्र के लोगों ने भरपूर आनंद लिया। विभिन्न मंदिरों में शिवरात्रि पर्व पर भंडारे का आयोजन किया गया।