शिमला, 17 फरवरी : हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के “शिमला जनपद” में नशे के कारोबारियों में खाकी वर्दी का खौफ बढ़ रहा है। पुलिस की यदि, ऐसे ही ताबड़तोड़ कार्रवाई जारी रही तो शिमला में कदम रखने से पहले नशे के कारोबारी सौ बार सोचने पर विवश होंगे।
आईपीएस अधिकारी संजीव कुमार गांधी ने मात्र 23 दिन पहले बतौर पुलिस अधीक्षक (IPS Sanjeev Gandhi) कार्यभार संभाला था। चार सप्ताह में पुलिस ने ड्रग पेडलर्स (Drug Peddlers) के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई की है। पुलिस न केवल ड्रग पेडलर्स को सलाखों के पीछे पहुंचा रही है, बल्कि मानवीय चेहरे का भी उदाहरण पेश कर रही है। नशे की लत में फंसे 70 व्यक्तियों को पुनर्वास केन्द्रों ( Rehabilitation programming) में भी भेजा, साथ ही अभिभावकों की काउंसलिंग भी की जा रही है।

रोजाना 4 से 5 नशा कारोबारियों के खिलाफ स्ट्राइक की जा रही है। पुलिस की यह सफलता कई मायने में असामान्य भी है। महत्वपूर्ण बात यह है कि नशे की लत में फंसे युवा ही पुलिस के खुफिया नेटवर्क का हिस्सा बने हैं। मुहिम में पुलिस ने युवाओं को नशा पहुंचाने वाले 15 इंटर स्टेट सप्लायर (Suppliers) भी दबोचे है।
पुलिस के निशाने पर वो ड्रग पेडलर्स है, जो नापाक गतिविधियों को अंजाम दे कर दूरदराज के गांवों में ड्रग्स का प्रसार कर रहे हैं। आप यह जानकर हैरान होंगे कि इस 23 दिन के भीतर नशे के कारोबारियों के खिलाफ 100 केस दर्ज किए गए हैं। नशे के कारोबार में शामिल 128 आरोपियों को अरेस्ट (Arrest) किया गया है।
रामपुर के डीएसपी चंद्रशेखर इस मुहिम में खाकी के स्टार अन्वेषक (Star investigator) व विशेषज्ञ बनकर उभरे हैं, जिन्होंने गूगल पे (Google Pay) या ऑनलाइन लेनदेन के बूते ड्रग पेडलर्स के स्तोत्र का भंडाफोड़ करने में सफलता हासिल की है। बताते हैं कि इस तरह की जांच काफी अलग होने के साथ-साथ कठिन भी है।
बता दें कि कांगड़ा व ऊना में पुलिस अधीक्षक रहने के दौरान संजीव कुमार गांधी ने नशे के कारोबार के खिलाफ जबरदस्त मुहिम चलाई थी। राज्य में ड्रग माफिया की करोड़ों की संपत्तियों को सीज करने की शुरूआत का श्रेय भी आईपीएस संजीव गांधी को ही हासिल है। 2018 में सत्ता परिवर्तन के बाद ऊना के एसपी संजीव कुमार गांधी के तबादले की जबरदस्त आलोचना हुई थी, क्योंकि वो खनन माफिया के साथ-साथ नशे के कारोबार की कमर तोड़ने में लगातार सफलताएं हासिल कर रहे थे।
ये खास….
गिरफ्तार पेडलर्स में अधिकांश खुदरा विक्रेता (retailers) हैं, वे दवाओं की आपूर्ति करते हैं और ड्रग सप्लाई श्रृंखला में महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में काम करते हैं। जो नशीले पदार्थों या नकली पदार्थों के आदी लोगों व युवाओं के स्वास्थ्य और समाज की शांति को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं। पुलिस मुख्य आपूर्तिकर्ताओं तक पहुंचने के लिए बहुत मेहनत कर रही हैं।
इसी क्रम में पुलिस उपमंडल रामपुर के तहत मामलों की जांच के दौरान बड़ी मात्रा में ड्रग ट्रेलमनी (Drug trail money) की पहचान की गई। अंतरराज्यीय ड्रग पेडलर के रैकेट का भंडाफोड़ करने में सफलता तो हासिल की ही है साथ ही जांच के दौरान बैकवर्ड लिंकेज सामने आए हैं। पुलिस ने एक मुख्य सप्लायर की पहचान भी की है, जिसके शिमला क्षेत्र के ड्रग पेडलर्स के साथ गहरे संबंध थे।
इस सीक्वल में पुलिस ने एक खाते में 55 लाख रुपये के लेनदेन का पता लगाया, ये राशि ड्रग पेडलिंग गतिविधियों के माध्यम से अर्जित की गई थी।
ये बोले, एसपीपुलिस अधीक्षक संजीव गांधी का कहना है कि आने वाले समय और सफलता मिलने की उम्मीद है। उनका कहना था कि पुलिस की टॉप प्राथमिकता में नशे के कारोबार को जड़ से उखाड़ फेंकने है।