शिमला 15 फरवरी : जुन्गा के समीप पुजारली मेें बीती रात शांद यज्ञ पर देवता जुन्गा की परंपरा के अनुसार पूजा अर्चना की गई। इस मौके पर मंदिर के शिखर पर कुरूढ़ स्थापित किया गया, जिसमें क्योंथल क्षेत्र के हजारों लोगों ने अपनी भागीदारी सुनिश्चित की गई।

मंदिर समिति के सदस्य पंकज सेन और दुर्गा सिंह ठाकुर ने बताया कि कुरूढ़ को किसी भी मंदिर का मुकुट माना जाता है, जिसे शुभ मुहूर्त और देवप्रथा के अनुसार स्थापित किया जाता है। तत्कालीन क्योंथल रियासत के वर्तमान राजा खुश विक्रम सेन ने कुरूढ़ की विधि विधान से पूजा की गई। तदोपंरात कुरूढ़ की स्थापना की गई। इस मौके पर अनेक देवी देवताओं, काली, बडमू के गुरों ने खेलकर अपनी हाजिरी भरी।
शांद यज्ञ के दूसरे दिन देवता जुन्गा के मंदिर में परंपरा के अनुसार पूजा अर्चना की गई। इस मौके पर विशाल भंडारे का आयोजन किया गया जिसमें क्योंथल क्षेत्र के असंख्य लोगों ने देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त किया। इस शांद यज्ञ में देवता बीण, देवता मल्हाई, देवता कथेश्वर पड़ी के अतिरिक्त 22 टीका देवताओं के कारदारों ने भाग लिया।
बता दें कि कूल्लू के मलाणा की भांति क्योंथल क्षेत्र में राजा को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। बदलते परिवेश में भी देव परंपरा के अनुसार राजा को चौथा इष्ट माना जाता है। जबकि तीन इष्टों में देवता जुन्गा, माता तारा देवी और हनुमान कुशाला माने जाते हैं। मंदिर समिति के सदस्यों के अनुसार पुजारली में देवता जुन्गा का करीब तीन सौ साल पुराना मंदिर है, जहां पर देवता जुन्गा का प्रादुर्भाव हुआ था।
दुर्गा सिंह ठाकुर ने बताया कि इस मंदिर में पहली बार शांद यज्ञ हो रहा है। इस मौके पर देवता जुन्गा वरिष्ठ पुजारी रामकृष्ण मेहता, दिनेश शर्मा सरजाई, बंसी राम शर्मा भंडारी, बडमू देवता के गुर जगदीश शर्मा, कामेश्वर शर्मा सैणा सहित अन्य कारदार मौजूद रहे।