मंडी, 15 फरवरी : हिमाचल प्रदेश का मंडी जिला छोटी काशी के रूप में जाना जाता है। छोटी काशी के नाम से विख्यात इस नगरी में 80 के करीब मंदिर है जिनमें अधिकतर मंदिर भगवान भोलेनाथ के हैं। बाबा भूतनाथ की इस नगरी में ब्यास नदी के तट पर एक ऐसा मंदिर मौजूद है, जिसमें एक साथ 11 शिवलिंगों की पूजा होती है और यह मंदिर है। एकादश रूद्र महादेव मंदिर भारतवर्ष का दूसरा ऐसा मंदिर है, जिसमें एक साथ 11 शिवलिंग मौजूद है।

उत्तरी भारत का इकलौता मंदिर है जो सनातन धर्म के अनुसार पंचदेव उपासना पद्धति पर बनाया गया है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान भोलेनाथ एकादश रूद्र महादेव के रूप में विराजमान है। वहीं मंदिर के परिक्रमा मार्ग पर चार मंदिर स्थित है। इनमें पहला मंदिर सूर्य देव, दूसरा श्री गणेश, त्रिपुरा सुंदरी व चौथा भगवान सत्यनारायण का मंदिर है।
मंदिर का इतिहास
ब्यास नदी के तट पर बने इस मंदिर के निर्माण की बात की जाए तो इतिहासकार निर्माण को लेकर एकमत नहीं है। एकादश रूद्र मंदिर के पुजारी देवानंद सरस्वती ने बताया कि स्वामी अखंडानंद के अनुसार मंदिर 350 वर्ष पूर्व राजा साहिब सेन ने बनवाया था। वहीं जनपद में प्रचलित किवदंती के अनुसार यह मंदिर राजा विजय सेन की माता साहबनी ने साहिबा ने बनवाया था। पंचदेव उपासना पद्धति का यह मंदिर पंचायत शैली के आधार पर बनाए गया है। जिसमें परिक्रमा मार्ग पर 4 मंदिर, तोरण द्वार, मंडप व गर्भगृह स्थापित है।

कई दशकों से निभाई जा रही अखंड जाप की परंपरा
मंडी जनपद अपने प्राचीन मंदिरों और देव संस्कृति के लिए मशहूर है। मंडी जनपद में रियासत काल से शिवरात्रि महोत्सव मनाया जाता है। जिसमें जनपद के सभी देवता देवी देवता ढोल नगाड़ों के साथ शिवरात्रि महोत्सव में पहुंचते है। मंडी जनपद में इस बार शिवरात्रि महोत्सव 18 से 25 फरवरी तक मनाया जाएगा।
ब्यास नदी के घाट पर स्थित प्राचीन एकादश रूद्र मंदिर में शिवरात्रि महोत्सव के 1 सप्ताह पूर्व ओम नमः शिवाय का अखंड जाप किया जाएगा। उपायुक्त मंडी 12 फरवरी को सुबह 9:00 बजे दीप प्रज्वलित कर इसका शुभारंभ कर दिया है। इस दौरान 12 फरवरी से 18 फरवरी तक मंदिर में अखंड ज्योति दिन-रात जलती रहेगी और ओम नमः शिवाय का जाप भी चलता रहेगा।