शिमला 14 फरवरी : क्योंथल क्षेत्र के पीठासीन देवता जुन्गा का दो दिवसीय शांद यज्ञ मंगलवार को पुजारली में आरभ हुआ। इस शांद महायज्ञ में तत्कालीन क्योंथल रियासत के राजा खुश विक्रम सेन के अलावा देवता जुन्गा बीण, मल्हाई और कथेश्वर महाराज पड़ी पारपंरिक वाद्य यंत्रों के साथ पुजारली में पहुंचे, जिनका देवलुओं द्वारा परांपरागत ढंग से गर्मजोशी के साथ अभिवादन किया गया।

बता दें कि क्योंथल क्षेत्र में राजा को चौथा इष्ट माना जाता है और राजा की देवता स्वरूप पूजा की जाती है। मंदिर समिति के सदस्य दुर्गा सिंह ठाकुर ने बताया कि पुजारली को देवता जुन्गा का मूल स्थान माना जाता है। बीते कुछ वर्षों से इस प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार किया जा रहा था। इसके पूर्ण होने पर देवता जुन्गा का शांद महायज्ञ रखा गया है, जिसमें क्योंथल के 22 टीका देवस्थान से कारदार पहुंच चुके हैं।
परंपरा के अनुसार मंगलवार की रात्रि को मंदिर के शिखर पर शुभ मुर्हूत में कुरूढ़ की स्थापना की जाएगी। उन्होंने बताया कि देवता जुन्गा को दूधाधारी देवता माना जाता है, जिस कारण शांद यज्ञ में किसी प्रकार की बलि नहीं दी जाएगी।

कुरूढ़ को शांदयज्ञ से एक दिन पहले जंगल में रात्रि को ही शुभ मुहूर्त में काटा जाता है। शांद के दिन कुरूढ़ को जंगल से लाने के लिए पूरे क्षेत्र के लोग जाते हैं, क्योंकि कुरूढ़ के उठने पर उसे मंदिर के शिखर पर ही रखा जाता है ।
दुर्गा सिंह ने बताया कि 15 फरवरी को देवताओं की पारंपरिक पूजा होगी देवता के गुर अथवा मालीे क्षेत्र की खुशहाली हेतू चावल का दाना आर्शिवाद के रूप में देते हैं। उन्होंने बताया कि क्योंथल रियासत में जो देव संबंधी मामला देवताओं से नहीं सुलझ पाता है, उसकी अपील क्योंथल रियासत के राजा सुनते हैं और उनका फैसला अंतिम होता है।