शिमला, 12 फरवरी : हिमाचल प्रदेश के सरकारी कार्यालयों में ऑडिट टीम (Audit Team) हव्वा होती है। इसके लिए टीम के सदस्यों की खास मेहमानवाजी (Hospitality) की व्यवस्था की जाती है। खाने-पीने से लेकर रात्रि ठहराव की मेजबानी उस कार्यालय के अधिकारियों व कर्मचारियों की होती है, जहां ऑडिट हो रहा होता है।

ऑडिट के पैरा का खौफ अक्सर कर्मचारियों व अधिकारियों की जुबान से भी झलकता है। खैर, इस बात को लेकर शायद ही सवाल उठते हों, लेकिन इसी बीच हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम (HRTC) के चंबा स्थित क्षेत्रीय प्रबंधक (Regional Manager) की एक चिट्ठी सामने आई है। ये पत्र निगम के मंडलीय प्रबंधक को भेजा गया है। इसमें ऑडिट टीम के रहने-खाने व व्हीस्की पीने तक के खर्चे का ब्यौरा दिया गया है।
रोचक बात ये है कि निगम ने भी आरटीआई के तहत मांगी जानकारी के तहत ईमानदारी से तमाम बिंदुओं का खुलासा किया है। पत्र में इस बात का जिक्र किया गया है कि विशेष ऑडिट टीम के लिए 26 जून 2020 से 10 जुलाई 2020 तक चाय पान, दोपहर का भोजन व रात्रि ठहराव इत्यादि के लिए खर्च किया गया था। इसके लिए हरेक कर्मचारी से 500 रुपए की राशि एकत्रित की गई थी। कुल 10,500 की राशि एकत्रित हुई।
दिलचस्प है कि पत्र में ये भी जिक्र किया गया है कि हिमाचल पथ परिवहन निगम के खाते से कोई भी राशि विशेष ऑडिट टीम पर खर्च नहीं की गई। क्षेत्रीय प्रबंधक के पत्र में इस बात को भी स्वीकार किया गया है कि एकत्रित की गई राशि को विशिष्ट ऑडिट टीम के खाने व व्हिस्की पर खर्च किया गया।
हालांकि, एमबीएम न्यूज नेटवर्क को हिमाचल पथ परिवहन निगम का पक्ष उपलब्ध नहीं है, लेकिन पूर्व डिप्टी एडवोकेट जनरल (deputy advocate general) विनय शर्मा ने सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से आरोप लगाया है कि ऑडिट पार्टी के रहने-खाने व व्हिस्की पीने तक का खर्च जनता की खून-पसीने की कमाई से करवाया जाता रहा है। ऑडिट टीम चंबा में रहने के दौरान जमकर व्हिस्की का इस्तेमाल करती रही। निगम ने भी आरटीआई (Right to Infromation) में मांगी जानकारी में इसका खुलासा कर दिया। टीम खजियार भी आम जनता के पैसे पर घूमती रही।
कुल मिलाकर सवाल ये उठता है कि ऑडिट के लिए आने वाली टीमें क्यों अपने स्तर पर ही खाने व रहने इत्यादि की व्यवस्था करती है। लाजमी तौर पर मेहमानवाजी होने पर सरकारी कार्यालय की विसंगतियों व कथित गडबड़ी को भी छिपा लिया जाता होगा। चंबा के क्षेत्रीय प्रबंधक का पत्र सरकार के लिए एक सबक भी है, ताकि आने वाले समय में ऑडिट की व्यवस्था को भी सुधारा जाए।