शिमला 12 फरवरी : जुन्गा से सटे ट्रहाई में माता ठौड़ेश्वरी के प्राचीन मंदिर के जीर्णाेद्धार का कार्य को शुभ मुंहूर्त में आरंभ किया गया है। इस धार्मिक अनुष्ठान में ग्रामीणों ने बढ़चढ़ कर भाग लिया। पुराने मंदिर को गिराने से पहले बलग से आए शास्त्री गीता राम पांडेय द्वारा ठौड़ेश्वरी माता की विधिवत पूजा अर्चना की गई।

शुभ मुर्हूत में माता की पिंडी को गांव के एक अन्य जुन्गा देवता की देवरी में रखा गया है। उन्होंने बताया कि ठौड़ेशवरी माता का इतिहास कोलकाता की मां काली से जुड़ा है। कालांतर में उनके दो बुजुर्ग आसू और गोलू जगन्नाथपुरी से काली माता को सिद्ध करके लाए थे। बुजुर्गों ने ठौड़ेश्वरी माता को नाहन से लेकर रामपुर सराहन तक अनेक गांव में स्थापित किया गया था, जिनमें से एक ट्रहाई गांव भी शामिल है।
उधर पीरन की ठौड़ माता के पुजारी दयाराम वर्मा ने बताया कि रियासतकाल में जब राजपूत किसी युद्ध को जीत कर आते थे तो अपने शत्रुओं के कटे हुए सिर ठौड़ माता कें मंदिर में दफनाए जाते थे। बताया कि अपर शिमला में राजपूत बाहुल्य आबादी वाले गांव में ठौड़ेश्वरी माता के मंदिर वर्तमान में भी मौजूद हैं, जहां पर राजपूत समुदाय के लोगों द्वारा कुलदेवी के रूप में पूजा की जाती है।
पुजारी प्रीतम सिंह ठाकुर ने बताया कि इस मंदिर का इतिहास ट्रहाई गांव के अस्तित्व में आने से जुड़ा है। अतीत में जब इस गांव के राजपूत ठोडा (महाभारतकालीन युद्धकला) खेलने किसी गांव में जाते थे, तो प्रस्थान से पूर्व ठौड़ेश्वरी माता से विजयश्री का आर्शिवाद लेते थे। जीत हासिल करने पर मां काली को बकरे की बलि दी जाती थी, और समय के साथ ठोडा खेल लुप्त होने लगा है।
पुजारी ने बताया कि मंदिर का जीर्णोद्धार होने के उपरांत वेदोक्त मंत्रों के साथ माता की पिंडी को मंदिर में स्थापित किया जाएगा। इस मंदिर के जीर्णोद्धार में सरकार से किसी प्रकार की सहायता नहीं ली गई है, बल्कि लोगों के अंशदान से ये कार्य किया जा रहा है।
इस मौके पर वरिष्ठ नागरिक मनोहर सिंह ठाकुर, भगत चंद आन्नद, रामस्वरूप शर्मा, राजेन्द्र ठाकुर, प्रदीप ब्रागटा, सुरेश ठाकुर, संदीप ब्रागटा, राजेश ठाकुर, धर्म सिंह सहित गांव के प्रमुख व्यक्ति मौजूद रहे।