मंडी, 06 फरवरी : अब दुश्मन देशों के रडार (Radar) से हमारे सैन्य उपकरण (military equipment)बच सकते है। यह दावा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी (Indian Institute of Technology Mandi) के शोधकर्ताओं ने किया है। दरअसल, शोधकर्ताओं ने ऐसा आर्टिफिशियल मटेरियल तैयार किया है जो हमारे खुफिया सैन्य वाहनों और खुफिया ठिकानों को दुश्मनों के रडार से बचा सकता है।

शोधकर्ताओं का दावा है कि यह मटेरियल रडार फ्रीक्वेंसी (सिग्नल) की बड़ी रेंज को एब्जॉर्ब करने में सक्षम है। चाहे रडार के सिग्नल जिस दिशा से उनके टारगेट को निशाना बनाएं। इसका उपयोग खुफिया सैन्य वाहनों और खुफिया सैन्य ठिकानों की खिड़कियों व कांच के पैनलों को सुरक्षा कवच देने के लिए भी किया जा सकता है।
आईआईटी मंडी (IIT Mandi) के शोधकर्ताओं के अनुसार इस शोध से रक्षा क्षेत्र के हित में रडार एब्जॉर्ब करने वाली सामग्री विकसित करने में अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी और सामग्रियों की अहमियत बढेगी। इस शोध कार्य के निष्कर्ष आईईईई लेटर्स ऑन इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कम्पैटिबिलिटी प्रैक्टिस एंड एप्लीकेशन नामक जर्नल में प्रकाशित किए गए हैं। इसका लेखन डॉ. श्रीकांत रेड्डी, सहायक प्रोफेसर, स्कूल ऑफ कंप्यूटिंग एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, आईआईटी मंडी और उनकी टीम के डॉ. अवनीश कुमार (प्रथम लेखक) और ज्योति भूषण पाधी ने किया है।
बता दें कि रडार का उपयोग सैन्य और सार्वजनिक क्षेत्रों में भी निगरानी और नेविगेशन के लिए किया जाता है। इससे विमानों, जल जहाजों, जमीन पर चलने वाले वाहनों और गुप्त ठिकानों में होने वाली गतिविधियों का पता चलता है इस तरह निगरानी रखना आसान होता है। दुश्मन के रडार से बचना सैन्य सुरक्षा की अहम रणनीति है और रडार से बच कर निकलने की क्षमता हो तो दुश्मन के हथियारों का निशाना बनने का खतरा कम हो सकता है।
वहीं रडार की नजरों से बचाने की तकनीक व्यावसायिक क्षेत्र की इमारतों से रेडिएशन का खतरा कम करने और उनकी सुरक्षा बढ़ाने में भी उपयोगी हो सकती है।

फ्रीक्वेंसी सेलेक्टिव सर्फेस के आधार पर किया गया है इस टेक्नोलॉजी का विकास…
आईआईटी मंडी के डॉ. जी श्रीकांत रेड्डी ने इस शोध के बारे में बताया कि इस टेक्नोलॉजी का विकास फ्रीक्वेंसी सेलेक्टिव सर्फेस (एफएसएस) के आधार पर किया है। जो रडार द्वारा उपयोग किए जाने वाली फ्रीक्वेंसी की बड़ी रेंज को एब्जॉर्ब करती है। जिसके परिणामस्वरूप से यह सर्फेस रडार को नहीं दिखता है। इस डिजाइन में ऑप्टिकली ट्रांस्पेरेंट आईटीओ-कोटेड पीईटी शीट का उपयोग किया गया है। इस पीईटी शीट पर एफएसएस पैटर्न बनाए जाते हैं।
पीईटी शीट पर लेजर इंग्रेविंग टेक्नोलॉजी से एफएसएस पैटर्न बनाए गए और एफएसएस पैटर्न के सिमेट्रिकल और ग्लॉसी होने के कारण यह एब्जॉर्बर पोलराइजेशन इंटेंसिव हो जाता है और यह सी, एक्स और क्यू बैंड में ईएम तरंगों की फ्रीक्वेंसी की बड़ी रेंज़ को एब्जॉर्ब कर लेता है। इस संबंध में विभिन्न परीक्षणों से यह तथ्य सामने आया है कि एफएसएस टेक्नोलॉजी फ्रीक्वेंसी की बड़ी रेंज़ में 90 प्रतिशत से अधिक रडार वेव्स एब्जॉर्ब करने में सक्षम है।
शोधकर्ताओं की टीम ने इस डिजाइन के कई प्रायोगिक अध्ययन किए और प्राप्त परिणाम सैद्धांतिक विश्लेषण के अनुरूप पाए गए जो इसके प्रभावी होने की पुष्टि करते हैं।
ट्रांसपेरेंट गुण की वजह से खिड़कियों या ग्लास पैनलों पर हो सकेगी उपयोग…. डॉ जी श्रीकांत रेड्डी ने यह भी बताया कि यह टेक्नोलॉजी अपने ऑप्टिकली ट्रांसपेरेंट गुण की वजह से गुप्त सैन्य वाहनों और गुप्त प्रतिष्ठानों की खिड़कियों या ग्लास पैनलों पर उपयोग की जा सकती है। इसके एक प्रोटोटाइप का विकास टीम कर चुकी है और शोध के परिणाम आईईई जर्नल में प्रकाशित हैं। यह टेक्नोलॉजी आरसीएस कम करने और रेडिएशन के अवांछित रिसाव को सोखने जैसे कार्यों में उपयोगी होने की संभावना सामने रखती है।
रडार एब्जॉर्ब करने वाली सामग्रियों का रक्षा क्षेत्र में अहम उपयोग है। क्योंकि इनका उपयोग कर सैन्य विमानों, जल जहाजों और अन्य वाहनों का पता लगाने वाले रडार के सिग्नल कम या फिर समाप्त कर देना आसान होगा। साथ ही, संचार टावरों, बिजली संयंत्रों और सैन्य ठिकानों जैसे महत्वपूर्ण बुनियादी संरचना को रडार की नजर से बचाने के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है। यह सैन्य संघर्ष में दुश्मनों को हमारे महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने से रोक सकती है।