श्री रेणुका जी, 4 फरवरी : वैसे तो हिमाचल प्रदेश की सबसे बड़ी प्राकृतिक झील ‘‘श्री रेणुका जी’’ हर बरस शीतकालीन प्रवासी पक्षियों से गुलजार होती है। लेकिन 2023 खास हो गया है, क्योंकि विदेशी मेहमानों ने सूबे के वन्य प्राणी विभाग (Wildlife Department) को एक नया रिकॉर्ड भी दिया है। दरअसल, श्री रेणुका जी वेटलैंड में बैकल टील ( Baikal Teal) व ऑरेंज बेलीड लीफबर्ड (Orange Bellied leafbird) साइट हुए हैं। दुर्लभ प्रजातियों की दस्तक से पक्षी प्रेमियों के चेहरे खिले हुए हैं।

आपको बता दें कि ये परिंदें लंबी उड़ान भर कर यहां पहुंचे हैें। इनमें से एक वाटरबर्ड साइबेरिया (Siberia) से पहुंचा है, जबकि दूसरा परिंदा उत्तर-पूर्वी भारत से आया है। इससे पहले पक्षियों की ये प्रजाति हिमाचल प्रदेश में नहीं देखी गई थी। इनकी साइटिंग का ये पहला ही मामला है।
जानकारी के मुताबिक ऑरेंज बेलीड लीफबर्ड का जोड़ा पहुंचा, जबकि बैकल टील एकल ही देखा गया है। दुर्लभ पक्षियों के मिलने से वन्य प्राणी विभाग रोमांचित है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि पर्यावरणीय गिरावट जीवों व वनस्पतियों के लिए खतरा बनी है। लेकिन दुर्लभ पक्षियों की साइटिंग सुकून देने वाली है।

दरअसल, विदेशी परिंदों की गणना को लेकर टीमें गठित की गई थी। इसी दौरान वाइल्ड लाइफ (Wild Life) में गहरी रुचि रखने वाले वनरक्षक वीरेंद्र शर्मा के कैमरे में दुर्लभ चित्र 21 जनवरी को कैद हो गए। उल्लेखनीय है कि पौंग जलाशय (Pong Lake) में भी इस बार लंबी पूंछ वाली बत्तख (long tail duck) पहली बार रिपोर्ट हुई है। बताते हैं कि बैकल टील की प्रजाति भारत में बेहद दुर्लभ है।
इस पक्षी की गर्दन हरे रंग की होती है। पक्षी बेहद ही मनमोहक होता है। प्रजाति का आवास आद्र व दलदली इलाका होता है। ये दोनों ही बातें श्री रेणुका झील में मौजूद हैं। उधर, ऑरेंज बेलीड लीफबर्ड का विशिष्ट आवास उत्तर-पूर्वी भारत है। श्री रेणुका जी में बाॅटल ब्रश (Bottle Brush) के प्लांट पर पक्षी की तस्वीर क्लिक हुई है।
बता दें कि प्रजाति को ऐसे पौधे आकर्षित करते हैं, जिनके फूलों में रस (Nector) होता है। उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले सालों में प्रजातियों की संख्या झील में बढ़ेगी। आद्रता (Humidity )के साथ-साथ पक्षियों का भोजन भी उपलब्ध है।
उल्लेखनीय है कि इस बार झील में व्हाइट ब्रेस्टेड वाटर हेन (white breasted water hen) भी रिपोर्ट हुई है। झील में इस बार 11 प्रजातियों के 413 प्रवासी परिंदों को साइट किया गया।
वन्य प्राणी विभाग के डीएफओ एन रविशंकर ने कहा कि पक्षियों की ये प्रजातियां हिमाचल में पहली बार रिकॉर्ड हुई हैं। उन्होंने कहा कि हाल ही के समय में श्री रेणुका जी झील व वन्य अभ्यारण में साइबेरिया से आने वाली कई अन्य प्रजातियों को भी पहली बार देखा गया है। उन्होंने कहा कि पक्षियों की उपस्थिति इस बात का भी संकेत है कि झील नए पक्षियों को आकर्षित करने के लिए सक्षम है।
ये भी खास….
वन्यजीवों के साथ-साथ परिंदों को लेकर सिरमौर से कई दिलचस्प बातें पहले भी सामने आ चुकी हैं। हाल ही में सिंबलवाड़ा नेशनल पार्क (Simbalwara National Park) से चंद मीटर दूर साल के जंगल में टाइगर (Tiger) के पदचिन्ह मिले थे। चंद महीने पहले नाहन के नजदीक पाम कीवट (palm civet) को भी देखा गया था। इसके मल से दुनिया की सबसे महंगी रैड काॅफी (Red Coffee) बनती है। तकरीबन डेढ़-दो साल पहले किंग कोबरा (King Cobra) की पहली साइटिंग भी सिरमौर में ही हुई थी।

सिरमौर की दून घाटी ही समूचे प्रदेश में एकमात्र जगह है, जहां हाथियों के झुंड भी पड़ोसी राज्य से पहुंचते हैं। साल के जंगल भी केवल सिरमौर में ही मौजूद हैं। श्री रेणुका जी जू में दुर्लभ दलदली हिरण का जन्म भी हुआ था। इसके अतिरिक्त करीब एक साल पहले वनरक्षक वीरेंद्र शर्मा ने ही रेणुका जी में सांप की फाॅरस्टन कैट स्नेक (farston cat snake) की प्रजाति को भी स्पाॅट किया था।