शिमला, 03 फरवरी : अनाथ, यानी जिनका कोई नहीं। “अनाथ” शब्द अपने आप में किसी व्यक्ति विशेष के जीवन की गाथा का उत्थान करता है। लेकिन हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने अपनी कार्यशैली के बूते यह साबित कर दिया है, जिनका कोई नहीं उनकी सरकार है। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला की एक अनाथ बेटी की बदौलत प्रदेश की हजारो बेटियों का अपने घर बनाने का सपना साकार होने वाला है। साथ ही अब अनाथ बेटियां 26 साल की बजाय 27 साल तक अनाथ आश्रम में रह सकेगी।
ये है पूरा मामला
दरअसल, कुल्लू जिला बाल संरक्षण अधिकारी के कार्यालय में बतौर आउटसोर्स पर तैनात एक लड़की नीलम नेगी अपनी फरियाद लेकर मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के पास पहुंची। ठंड से कांप रही बालिका जब मुख्यमंत्री के पास पहुंची तो मुख्यमंत्री ने सबसे पहले उसे शॉल व टोपी पहनाई। इसके बाद सीएम ने लड़की की समस्या को गंभीरतापूर्वक सुना। लड़की ने बताया कि उसके पास रहने के लिए घर नहीं है। साथ ही वह अब अनाथ आश्रम में भी नहीं रह सकती क्योंकि उसकी उम्र 27 साल हो चुकी है और अनाथ आश्रम में बस 26 साल तक ही रहने की अनुमति है। वह बाल विकास विभाग के साथ लगते सरकारी आवास के एक कमरे में रह रही है। लड़की ने बताया की वह कई बार इस मसले को लेकर प्रशासन से भी मदद की गुहार लग चुकी है।

फिर दिखा CM सुखविंदर सिंह सुक्खू का “नायक” अंदाज
बालिका की पूरी बात सुनने के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने कुल्लू के उपायुक्त आशुतोष गर्ग से बात की। साथ ही डीसी को अगले दिन शिमला तलब किया। सीएम ने मामले को लेकर पूरी रिपोर्ट मांगी। सीएम ने उपायुक्त से इस दौरान पूछा कि क्या लड़की आपके पास भी आई थी। इस पर उपायुक्त आशुतोष गर्ग ने कहा कि वह एक-दो बार उनसे आकर मिली है। मुख्यमंत्री ने तुरंत ही लड़की को भूमि उपलब्ध करवाने की बात कही।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि जब तक निराश्रित बेटी के लिए आशियाना तैयार नहीं हो जाता, तब तक वह बालिका आश्रम में रह सकेगी। इसके अलावा एक साल के समय में बेटी के लिए आशियाना तैयार करने का काम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जिन निराश्रित बेटियों के पास अपना कोई ठिकाना नहीं है, सरकार उन्हें घर बनाने में मदद करेगी। 15 घंटे के भीतर ही सुक्खू सरकार ने बालिका आश्रम में रहने वाली लड़कियों के लिए उम्र 26 साल से बढ़ाकर 27 साल कर दी।
गौरतलब है कि प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार निराश्रितों के लिए विशेष कदम उठा रही है। सरकार की ओर से निराश्रित बच्चों को सहारा देने के लिए सुखाश्रय सहायता कोष भी बनाया है। इस कोष के जरिए निराश्रित बच्चों के उत्थान का काम किया जा रहा है।