शिमला, 02 फरवरी : प्रदेश में कोरोना काल के दौरान महामारी की रोकथाम के लिए खरीदे गए चिकित्सा उपकरणों में हुए घोटाले में फंसे स्वास्थ्य विभाग के पूर्व निदेशक डॉ. अजय कुमार गुप्ता को विजिलेंस ने गिरफ्तार कर लिया है। करीब 3 वर्ष पूर्व एबीजी मशीन की खरीद में हुए घोटाले में डॉ. अजय कुमार गुप्ता मुख्य आरोपी हैं। उन पर 4.25 लाख रुपए कमीशन और रिश्वत लेने का आरोप है। उस वक्त प्रदेश में भाजपा की सरकार थी। सोमवार को प्रदेश उच्च न्यायालय में जमानत खारिज होने के बाद उन्होंने अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया। अदालत ने डॉ. गुप्ता को दो दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया है।

दरअसल वर्ष 2020 में डॉ. अजय कुमार गुप्ता स्वास्थ्य विभाग के निदेशक थे। उस समय कोरोना कहर बरपा रहा था। स्वास्थ्य विभाग द्वारा एबीजी मशीनों को खरीदा गया था। आरोप है कि सस्ती एबीजी मशीनों को महंगे दामों पर खरीदा गया। सबसे अहम बात यह है कि मशीनों की खरीद में स्वास्थ्य विभाग के तत्कालीन निदेशक की संलिप्तता सामने आई थी।
दरअसल मशीनों की खरीद-फरोख्त के दौरान एक ऑडियो भी वायरल हुई थी। ऑडियो में दो लोगों के बीच 4.25 लाख रुपए लेने की बात हो रही थी। 43 सेकेंड के इस ऑडियो के अंत में 5 लाख रुपए देने की बात कही गई। विजिलेंस ने इस संबंध में केस दर्ज करने के बाद डॉ. अजय कुमार गुप्ता को गिरफ्तार किया था।
मामले में बवाल बढ़ने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने विजिलेंस जांच के आदेश दिए थे। विजिलेंस ने सभी पहलुओं पर गहनता से जांच की तो उक्त तत्कालीन निदेशक डॉ. अजय कुमार गुप्ता को दोषी पाया गया था। अब अदालत से जमानत अर्जी रद्द होने के बाद फिर से उन्हें गिरफ्तार किया गया है।
बता दें कि पूर्व भाजपा शासन में स्वास्थ्य विभाग में हुए इस घोटाले में विपक्षी कांग्रेस ने इस मामले पर खूब बवाल काटा था। तत्कालीन प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राजीव बिंदल को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी थी।