नाहन, 29 जनवरी: महामाई बाला सुंदरी त्रिलोकपुर के दरबार में दिल्ली के एक श्रद्धालु ने सोने से जड़ित भवन भेंट किया है। करीब 5 किलो चांदी पर सोने की परत चढ़ाई गई है। हालांकि, प्राचीन मंदिर में भेंट किए गए भवन को लेकर दान देने वाले श्रद्धालु ने मंदिर न्यास को चांदी व सोने के इस्तेमाल की जानकारी दी है, लेकिन न्यास भी अपने स्तर पर परख करवाएगा।

श्रद्धालु की भावना की कद्र करते हुए मंदिर न्यास ने मनमोहक भवन को माता की पिंडी के मूल स्थान पर ही स्थापित किया है। बताया गया है कि माता के भवन में करीब 19 तोले सोने व करीब 5 किलो चांदी का इस्तेमाल हुआ है। मंदिर में माता की पिंडी चांदी के भव्य भवन में विराजमान है। ये पहली बार ही है, जब माता के दरबार में सोने से जड़ित भवन भेंट हुआ है।
उत्तर भारत का प्रसिद्ध शक्तिपीठ मां बाला सुंदरी लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक है। हिमाचल के साथ-साथ हरियाणा व उत्तर प्रदेश में माता बाला सुंदरी को कुल देवी के रूप में भी पूजा जाता है। चंद बरस पहले प्राचीन मंदिर में माता के मुख्य स्थल की दिवारों पर शुद्ध चांदी की परत चढ़ाई गई थी। ये चांदी भी श्रद्धालुओं द्वारा ही भेंट की गई थी। मंदिर न्यास का मानना है कि माता के दरबार में चांदी के छत्र अर्पित किए जाते रहे हैं, मगर सोने से जड़ित भवन पहली बार ही भेंट किया गया है।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में मंदिर न्यास के अध्यक्ष व उपायुक्त आरके गौतम ने माना कि सोने से जड़ित दरबार में पहली बार अर्पित किया गया है। उन्होंने कहा कि इसे स्थापित कर दिया गया है।
करीब-करीब 450 साल पुराने प्राचीन मंदिर से जुड़ी जनश्रुति ये है कि महामाई उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के देवबन से नमक की बोरी में त्रिलोकपुर आई थी। बोरी को पीपल के पेड़ के नीचे रखा गया था। लाला रामदास नमक को बेचते रहे, लेकिन ये खत्म नहीं हुआ। इसके बाद लाला जी ने पीपल के वृक्ष को हर रोज जल देना शुरू कर दिया।
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स्वप्न में माता ने लाला जी को बताया कि वो वृक्ष के नीचे पिंडी के रूप में स्थापित हो गई हैं, मेरा भवन बनवाओ। लाला जी ने माता को आराधना के जरिए कहा कि पैसों की कमी है। आप सिरमौर के महाराज को भवन निर्माण का आदेश दें। इसके बाद माता ने स्वप्न में ही राजा प्रदीप प्रकाश को भवन निर्माण का आदेश दिया था। आपको बता दें कि सिरमौर रियासत के शाही महल में भी हूबहू त्रिलोकपुर की तरह ही माता का भवन बना हुआ है।
इसी बीच मंदिर के प्रबंधक विजय कुमार ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क को बताया कि माता के दरबार में अर्पित होने वाली राशि व अन्य सामान की गणना एक तय तिथि पर की जाती है। माता को भेंट किए गए भवन को भी इसमें शामिल किया जाएगा। स्वर्णकार से भी इसके बारे में राय ली जाएगी।