नाहन, 27 जनवरी : हिंदू पुराणों में अनाज को “अन्न देवता” का दर्जा दिया गया है, लेकिन शहर में अनाज को कूड़े के ढेर में फैंका जा रहा है। इसी अनाज से गरीब का पेट भी भरा जा सकता है, जिन्हे खाना नसीब नहीं होता। लेकिन शहर में गंदगी फैलाने वालों ने तमाम हदें पार कर ली हैं।

कांग्रेस भवन के समीप शुक्रवार को एक ऐसा मंजर सामने आया, जिसने “अन्न देवता” की बेकद्री पर सवाल उठाए। दरअसल, पॉलीथिन की थैलियों में घर का बचा हुआ खाना कूड़े के ढेर में ठिकाने लगाया गया। ऐसे मामलों के जहां पॉलीथिन का इस्तेमाल खुल कर होता है, वहीं अनाज को कूड़े में फैंका जा रहा है। कूड़े से बंदर व कुत्ते जब अनाज को फैला देते हैं तो घरो में बचा खाना पूरी गली में फैला नजर आता है।
नगर परिषद की नरमी ऐसा करने वालों का हौसला बढ़ा देती है, लेकिन ऐसा करने वालों को यह समझ लेना चाहिए कि जिस दिन देवता रुष्ट हुए, उस दिन भूखे मरने की नौबत आ जाएगी। जानकार बताते हैं कि ऐसा करने वाले अपने घरों के छोटे-छोटे बच्चों को थैलियां चुपचाप फैंकने के लिए देते हैं। इससे बच्चों के संस्कार भी गलत हो रहे हैं। बार-बार कोशिश करने के बावजूद भी नगर परिषद स्वच्छता को लेकर कड़ी कार्रवाई नहीं कर पा रही।
उधर, लोगों का यह भी कहना है कि डोर टू डोर कूड़ा एकत्रित करने का अभियान भी ध्वस्त हो रहा है। कई ऐसे घर मौजूद हैं, जहां बुजुर्ग ही रहते हैं। ऐसे में उन्हें कूड़ा फैंकने में खासी मुश्किल का सामना करना पड़ता है। सफाई कर्मचारियों में भी डोर टू डोर कलेक्शन का डर नहीं होता।
बहरहाल नगर परिषद को ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई को अंजाम देना चाहिए, जो घरों के भोजन को भी पॉलीथिन की थैलियों में भरकर गलियों में फेंक रहे हैं। गंदगी के हॉटस्पॉट पर सीसी कैमरे लगाने की मुहिम भी ठंडे बस्ते में है।
उधर, नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी संजय तोमर ने कहा कि सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि स्वच्छता अभियान में आम लोगों का सहयोग मायने रखता है।