जोगिंद्रनगर/ लक्की शर्मा : “कला किसी की मोहताज नहीं होती।” हिमाचल के आयुष के अद्भुत हुनर को देखकर हर किस के जहन में यही बात आती है। अपनी कलम से आयुष ऐसे चित्र उकेरता है, जिसे देखकर आप भी दंग रह जाएंगे। अहम् बात यह है कि आयुष ने इसके लिए कोई विशेष प्रशिक्षण नहीं लिया। आर्ट को सीखने के लिए रात को समय निकालकर आयुष को घंटों मेहनत करनी पड़ी।
मंडी जिला के जोगिंदर नगर उपमंडल के दूरदराज गांव द्रुब्बल के रहने वाले आयुष कुमार सामान्य परिवार से संबंध रखते है। उनके पिता सोहन लाल शर्मा एक किसान है। माता विद्या देवी की 2010 में मृत्यु हो गई थी। परिवार के सदस्यों में इनके दो छोटे भाई-बहन है, जिनकी शादियां हो गई है।
आयुष कुमार इन दिनों चंडीगढ़ में है, जहां वह प्राईवेट जॉब करते है। आयुष कहते है कला के माध्यम से मन के भावों को मस्तिष्क के माध्यम से किसी भी प्रकार से प्रकट किया जा सकता है। उनका कहना है कि प्रत्येक मनुष्य में कलाकार छुपा है, जरुरत है उसके मन के भावों को जगाने की। यदि कलाकार सच्चे भाव से अपनी कला को अंजाम देता है। तो उसके द्वारा निर्मित कला एक धरोहर बन जाती है।
आयुष कुमार ने कला में कोई भी विशेष प्रशिक्षण नहीं लिया है। रात को घंटों की गई मेहनत व रूचि ही इन्हे यहां तक ले आई है। आयुष की प्रारंभिक शिक्षा इनके अपने गांव में स्थित राजकीय प्राथमिक पाठशाला बनौण में हुई है। आयुष बताते है कि उनकी बचपन से ही कला में रूचि थी, लेकिन स्केच आर्ट का काम उन्होंने 2020 में शुरू किया।
उन्होंने बताया कि इस आर्ट को सीखने के लिए रात को समय निकालकर उन्हें घंटों मेहनत करनी पड़ी। आयुष की फ्री हैंड स्कैचिंग बहुत ही शानदार है, जिसके लिए हर कोई इनकी सराहना कर रहा है। लोग आर्डर करके अपनी-अपनी फोटो की स्केचिंग करवा रहे है।