धर्मशाला, 09 जनवरी : शांत-प्रयास के पूर्व भी, तूफान के उपरांत भी, वक्त का पहिया स्थिर नहीं रहता, वह घूमता रहता है। यह शब्द धर्मशाला के विधायक एवं पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा के है।
रविवार को सरकार बनने के एक महीने बाद हिमाचल मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ। सुक्खू सरकार के 7 मंत्रियों ने राजभवन में शपथ ली। मंत्रिमंडल के विस्तार में एक बड़ी और चौंकाने वाली बात यह थी कि मंत्रिमंडल में कांगड़ा जिला को ज्यादा तवज्जो नहीं मिली। सत्ता की चाबी माने जाने वाले जिला कांगड़ा से महज एक वरिष्ठ नेता चंद्र कुमार को मंत्री पद दिया गया। जिनका मंत्री बनना लगभग तय माना जा रहा था। वहीं अंतिम समय पर सुधीर शर्मा का लिस्ट से नाम गायब होने से सभी अचंभित है।
मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद धर्मशाला के विधायक सुधीर शर्मा ने कैबिनेट में जगह न मिलने पर अपनी मनोदशा को सोशल मीडिया के माध्यम से स्पष्ट किया। दरअसल, सुधीर शर्मा का मंत्रिमंडल में शामिल होना लगभग तय माना जा रहा था।
ऐसा माना जा रहा था कि कांगड़ा जिले से चंद्र कुमार व सुधीर शर्मा को मंत्रिमंडल में जगह मिलनी तय थी। वहीं, दिवंगत जीएस बाली के पुत्र रघुवीर सिंह बाली का नाम भी चर्चा में था। लेकिन शपथ ग्रहण में केवल मंत्री पद चंद्र कुमार को दिया गया। हालांकि मंत्रिमंडल में अभी भी 3 पद खाली है। कांग्रेस के कई वरिष्ठ एवं युवा नेता इन 3 पदों के तलबगार है।
शपथ ग्रहण के बाद सुधीर शर्मा ने सोशल अकाउंट पर एक पोस्ट लिखी। पोस्ट न तो हिंदी भाषा में थी और न ही अंग्रेजी में बल्कि उन्होंने संस्कृत में एक पोस्ट लिखी। सुधीर शर्मा ने अपनी पोस्ट में लिखा, ‘‘शान्तः प्रयासात्पूर्वं विषमादनन्तरं च.’’ यानी शांत – प्रयास के पूर्व भी, तूफ़ान के उपरांत भी। इसके अलावा एक और पंक्ति लिखी, “कालक्रमेण जगतः परिवर्तमाना , चक्रारपंक्तिरिव गच्छति भाग्यपंक्तिः”, जिसका अर्थ है वक्त का पहिया स्थिर नहीं रहता है, वो तो घूमता ही है। सुधीर शर्मा के इस पोस्ट पर तरह-तरह की अटकलें है।
बता दें कि कैबिनेट में चंद्र कुमार को ओबीसी कोटे से मंत्री बनाया गया है। इसी कड़ी में सुधीर शर्मा को ब्राह्मण कोटे से मंत्रिमंडल में जगह मिलनी तय थी। लेकिन फिलहाल ऐसा नहीं हुआ। कांगड़ा से केवल एक मंत्री ही बनाया गया। हालांकि दो सीपीएस के पद भी कांगड़ा को मिले हैं। कांगड़ा में कांग्रेस ने 15 में से 10 सीटों पर जीत हासिल की थी।
बता दें कि इससे पहले सुधीर शर्मा वीरभद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। धर्मशाला विधान सभा में उनकी सीट भी सीएम व् डिप्टी सीएम के बाद तीसरे स्थान पर निर्धारित की गई थी। यानि उन्हें इस बात की भनक तक नहीं लगी की उन्हें कैबिनेट में जगह नहीं मिलेगी।
बताया जा रहा है कि आलाकमान सुधीर शर्मा से नाराज़ चल रहे है। इसका सबसे बडा कारण उनके द्वारा विधान सभा के उपचुनाव में चुनाव लड़ने से इंकार करना माना जा रहा है। आलाकमान ने उनका टिकट भी होल्ड कर दिया था। अब अगले विस्तार में उन्हें जगह मिलेगी ये भी मुश्किल लग रहा है। ऐसे में सुधीर शर्मा के पास अब इंतजार करने के अलावा कोई चारा नहीं है।