शिमला, 08 जनवरी : हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के 15वें मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhwinder Singh Sukhu) ने गोपनीयता बरतने को लेकर कथनी व करनी को साबित भी कर दिखाया है। हाल ही में मुख्यमंत्री ने सचिवालय में सख्त निर्देश जारी किया था। इसके मुताबिक सरकार द्वारा लिए जाने वाले फैसलों की गोपनीयता भंग नहीं होनी चाहिए।
रविवार को समूचे प्रदेश की नजरें इस बात पर टिकी हुई थी कि कौन-कौन मंत्रिमंडल में शामिल होने जा रहा है, लेकिन इस बात की किसी को भी कानों कान भनक नहीं थी कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा 6 मुख्य संसदीय सचिवों को भी शपथ दिलाई जा रही हैं।
दिलचस्प यह है कि शपथ ग्रहण की सूचना मीडिया को भी नहीं थी, जैसे ही सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने सोशल मीडिया में कार्यक्रम का लाइव प्रसारण शुरू किया तो मुख्य संसदीय सचिवों के शपथ की सूचना आम लोगों तक पहुंची। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस शपथ ग्रहण के बाद खुद भी यह कहा कि जो लोग मुख्य संसदीय सचिव बने भी हैं, उनके परिवारों को भी शपथ में पहुंचने का अवसर नहीं मिला। अर्की के विधायक संजय अवस्थी को शपथ दिलाने के बाद मुख्यमंत्री ने उनकी माता के पांव छूकर आशीर्वाद भी लिया।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि अगर सरकार के निर्णय गोपनीय रहे तो उन्हें क्रियान्वित करने में आसानी होती है। जयराम सरकार (Jairam Government) के कार्यकाल के दौरान अक्सर ही सरकार की अधिसूचना एवं निर्णय कुछ मिनटों बाद ही सोशल मीडिया में वायरल हो जाते थे, इस कारण कई बार फैसले को लागू करने से पहले ही विवाद खड़ा हो जाता था। ऐसा भी बताया जा रहा है कि अपने करीबी कुछ ऐसे विधायकों को मुख्यमंत्री साथ रखने की कोशिश कर रहे हैं, जो पहली बार जीत कर आए हैं, ताकि वो सरकार की कार्यशैली को नजदीक से देखकर अनुभव हासिल कर सके।
कुल मिलाकर रातों-रात ही मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति का निर्णय न केवल लिया, बल्कि सुबह 10:00 से पहले ही अमलीजामा भी पहना दिया। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने स्वयं मुख्य संसदीय सचिवों को शपथ दिलाई। रविवार को सरकार ने 7 मंत्रियों के अलावा 6 मुख्य संसदीय सचिवों की भी नियुक्ति की है।
हालांकि मंत्रियों के विभाग तय नहीं हुए हैं, लेकिन शपथ ग्रहण के चंद घंटों बाद ही सचिवालय में मंत्रियों के कमरे तय कर दिए गए साथ ही वाहन भी आबंटित कर दिए गए। दिलचस्प बात यह भी है कि मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को लेकर मीडिया में भी कोई चर्चा नहीं थी, केवल मंत्रियों को लेकर किंतु-परंतु अवश्य ही सामने आ रहे थे।
मीडिया में सुधीर शर्मा व राजेश धर्माणी के भी मंत्री बनने की चर्चा थी, लेकिन ऐन वक्त पर ऐसा नहीं हुआ। मंत्रिमंडल में विस्तार की गुंजाइश छोड़कर भी मुख्यमंत्री ने एक और स्ट्रोक भी खेला है। शायद सुक्खू ऐसे पहले मुख्यमंत्री होंगे, जिन्होंने खुद के शपथ ग्रहण के बाद कैबिनेट का विस्तार देरी से किया।
इसमें भी कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि मुख्यमंत्री द्वारा लिए जा रहे निर्णय पर ही प्रदेश की नजरे टिकी हुई थी। लिहाजा, मंत्रिमंडल को लेकर आम लोगों में कोई खास चर्चा नहीं थी, क्योंकि खुद ही मुख्यमंत्री राजनीति की पिच पर एक तरफ से बैटिंग कर रहे थे, दूसरे छोर पर उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री (Deputy CM Mukesh Agnihotri) भी थे।
ये भी खास… अमूमन सरकार बदलते ही ताबड़तोड़ तबादले शुरू हो जाते हैं, लेकिन सुखविंदर सिंह सुक्खू ने ऐसा नहीं किया। तबादलों में फंसते तो कई मुश्किलें पैदा हो सकती थी। माना जा रहा है कि सरकार के कामकाज को लेकर सब कुछ सैटल होने के बाद ही सुक्खू इस दिशा में सोचेंगे।