घुमारवीं, 06 जनवरी : घुमारवीं विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी राजेश धर्माणी तीसरी बार चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं। जिससे शुरू से ही मंत्री बनने के कयास लगाए जा रहे थे। दूसरी सबसे बड़ी वजह यह भी है कि वह जिला के इकलौते कांग्रेस उम्मीदवार हैं, जो चुनाव जीते हुए हैं।
बेशक यह जिला व गृह क्षेत्र भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का था, लेकिन भाजपा उनके रथ में सवार होकर चारों सीटों पर जीतने के सपने देखने लगे थे, पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। राजेश धर्माणी ने कैबिनेट मंत्री राजेन्द्र गर्ग को 5611 मतों से हराया है।
मतगणना शुरू होते ही पहले दौर में राजेश धर्माणी को एक हजार से ज्यादा मतों से बढ़त मिलनी शुरू हुई थी। यह बढ़त लगातार 9वें दौर तक जारी रहा। मंत्री राजेन्द्र गर्ग को दसवें दौर में महज 166 मतों की बढ़त मिली थी। मतगणना के पूर्ण होते ही राजेश धर्माणी 5611 मतों से विजय घोषित की गई।
राजेश धर्माणी बेदाग और साफ छवि वाले नेता
घुमारवीं विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी और खाद्य आपूर्ति मंत्री राजेंद्र गर्ग को हराकर विधानसभा पहुंचने वाले जिले के एकमात्र कांग्रेसी विधायक राजेश धर्माणी ऐसे विधायक है जिन पर दो बार विधायक रहने के बाद भी कोई आरोप नहीं लगा है।
धर्माणी अपनी ईमानदारी के बूते तीसरी बार विजयी होकर विधानसभा पहुंचे हैं तथा भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त नहीं करते है। जिससे इस बार के चुनावों में भाजपा के द्वारा किए गए भ्रष्टाचार को अपना हथियार बनाकर भाजपा पर प्रहार करते रहे है और चुनाव जीतने में सफल हुए है।
चुनाव जीतने के बाद मंत्री बनने के लगाए जा रहे थे कयास
चुनाव जीतने के बाद यह कयास लगाए जा रहे थे कि उन्हें सरकार में मंत्री पद मिल सकता है। सुखविंदर सिंह सुक्खू के मुख्यमंत्री बनने के बाद धर्माणी का मंत्री पद लगभग तय माना जा रहा है। धर्माणी सुक्खू के करीबी लोगों में से एक हैं, जिससे मुख्यमंत्री भी इन्हें बड़ा विभाग का जिम्मा सौंप सकते हैं।
पुख्ता सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री इन्हें स्वास्थ्य या उद्योग विभाग सौंप सकते हैं। देखना यह है कि जिस दिन मंत्री बनाए जाते हैं, उसी दिन यही विभाग मिलेंगे या और। मिली जानकारी के अनुसार इन्हें उद्योग या स्वास्थ्य विभाग सौंपा जा सकता है।
पढ़े लिखे और साधारण परिवार से सबंध रखते हैं धर्माणी
राजेश धर्माणी ने एनआईटी हमीरपुर से इंजीनियरिंग की है। इसके अलावा उनके पास एमबीए की डिग्री भी है। एक साधारण परिवार में जन्मे राजेश धर्माणी के राजनीतिक सफर की बात की जाए तो राजनीति में उनका सफर साल 1990 से शुरू हुआ था। इसके बाद वो प्रदेश युवा कांग्रेस के महासचिव, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव, जिला कांग्रेस के अध्यक्ष के पद पर रहे है। वर्तमान में वह कांग्रेस चार्जशीट कमेटी के अध्यक्ष भी रहे है। अखिल कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय सचिव भी है। उन्हें पार्टी के द्धारा उतराखंड का सह प्रभारी भी बनाया गया था।
राजेश धर्माणी कब -कब जीते और विधानसभा पहुंचे
1972 में घुमारवीं में जन्मे राजेश धर्माणी ने पहली बार साल 2007 में घुमारवीं से विधानसभा चुनाव लड़ा था। भाजपा के कर्मदेव को 1931 वोटों से हराया था। जो रिश्ते में उनके चाचा भी लगते थे। उसके बाद साल 2012 में राजेश धर्माणी ने भाजपा के राजेंद्र गर्ग को 3,208 वोट से हराया था। उस समय सरकार ने उन्हें मुख्य संसदीय सचिव नियुक्त किया था। बाद में मिलने वाली सभी सरकारी सुविधाओं को त्याग दिया था, जिनमें गाड़ी भी शामिल थी। कहीं भी आने-जाने के लिए अपनी निजी गाड़ी का ही उपयोग करते थे।
घुमारवीं से ही साल 2017 में उन्होंने भाजपा के राजेंद्र गर्ग के खिलाफ चुनाव लड़ा। लेकिन इस बार उन्हें भाजपा के गर्ग से 10,435 वोटों से रिकॉर्ड हार मिली थी। साल 2007 से 2017 तक लगातार 10 साल घुमारवीं विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहने के बाद भी धर्माणी की छवि बिल्कुल साफ व ईमानदार है और इस बार उन्हें कांग्रेस चार्जशीट कमेटी का अध्यक्ष भी बनाया गया था।
धर्माणी के मंत्री बनने के साथ ही घुमारवी विधानसभा क्षेत्र एक आर्दश विधानसभा क्षेत्र बनेगा। ऐसे में लोग कयास लगाए बैठे हैं। राजनीति द्धेष के चलते 2017 में भाजपा सरकार के बनने के बाद जो बड़े प्रोजेक्ट घुमारवीं विधानसभा क्षेत्र में बंद कर दिए गए थे। उन्हें दोबारा शुरू होने की आस जगी है।