शिमला, 25 दिसंबर : क्या हिमाचल प्रदेश में मंत्रिमंडल के विस्तार में देरी सुक्खू सरकार की एक रणनीति का हिस्सा है? एमबीएम न्यूज नेटवर्क यह सवाल नहीं उठा रहा बल्कि आम लोगों में चर्चा है कि मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर में सुक्खू सरकार एक रणनीति के तहत कार्य कर रही है। दरअसल, कांग्रेस ने घोषणा पत्र के अलावा कुछ अन्य मुद्दों पर भी चुनाव प्रचार के दौरान यह कहा था कि मंत्रिमंडल की पहली बैठक में स्वीकृति होगी। इसमें सबसे बड़ा मुद्दा ओपीएस (OPS) का है।
चर्चा है कि सुक्खू सरकार अहम मुद्दों पर पहले होमवर्क पूरा करना चाहती है, ताकि जब ये मामले मंत्रिमंडल की बैठक में पहुंचे तो कोई किंतु परंतु न हो। खासकर मंत्रिमंडल की बैठक के बाद ओपीएस (OPS) को लेकर मुख्यमंत्री ठोस ऐलान कर सके।
ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मंत्रिमंडल के सदस्यों को लेकर खींचातानी चल रही है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो मंत्रिमंडल भी तय है। इसको लेकर सरकार खास मुश्किल में नहीं है।
पहले 24 दिसंबर तक मंत्रिमंडल का विस्तार होने की खबर सामने आई। लेकिन अब यह सामने आ रहा है कि प्रदेश के राज्यपाल एक सप्ताह के लिए राज्य में नहीं होंगे, लिहाजा मंत्रिमंडल का विस्तार 7 से 10 दिन के लिए आगे खिसक गया है। लिहाजा सरकार को होमवर्क के लिए अतिरिक्त समय मिल गया है।
खास बात यह भी देखिए कि सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 2017 में जयराम ठाकुर की अपेक्षा बतौर मुख्यमंत्री पारी दो सप्ताह पहले शुरू कर दी है। 2017 में जयराम ठाकुर ने 27 दिसंबर को शपथ ग्रहण की थी, जबकि सुक्खू ने चुनाव नतीजे घोषित होने के 96 घंटे से भी कम समय में शपथ ग्रहण करने के बाद बैटिंग शुरू कर दी। हालांकि अलग-अलग विभागों को में पिछली सरकार द्वारा खोले गए कार्यालय को डिनोटिफाई करने को लेकर भाजपा आक्रामक रुख अपना रही है। लेकिन इन तमाम बातों से दूर सुक्खू सरकार उन बातों पर खुद को केंद्रित कर रही है। जिससे जुड़े वादे चुनाव प्रचार में किए गए थे। पार्टी आलाकमान ने पूरी तरह से सुक्खू को ग्रीन सिग्नल दिया हुआ है।
हालांकि एक बात यह जरूर है कि मुख्यमंत्री के कोरोना पॉजिटिव आने के बाद कार्यक्रम स्थगित करने पड़े। यहां तक की विधानसभा का सत्र भी 2023 के पहले सप्ताह की तरफ खिसक गया। लेकिन काफी हद तक ये माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल की पहली बैठक से पहले खुद सरकार होमवर्क पूरा करने में लगी हुई है। ओपीएस को लेकर वित्त विभाग पूरी तरह से सक्रिय है।
उधर उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने ट्रांसपोर्ट, जल शक्ति, भाषा कला एवं संस्कृति विभाग की बागडोर संभाली है। ट्रांसपोर्ट मंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर स्पष्ट कह दिया हैं कि पहाड़ी प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों को प्राथमिकता दी जाएगी। अलबत्ता अग्निहोत्री ने जल शक्ति विभाग को लेकर अब तक कोई बड़ा ऐलान नहीं किया है। फ़िलहाल ये साफ़ नहीं है कि हिमाचल में पहले भी मंत्रिमंडल के विस्तार में इतनी देरी हुई है या नहीं।
खास बात ये है कि 2017 की तुलना में 2022 में सरकार ने जल्दी कार्य शुरू किया है। 2017 में भाजपा के सीएम कैंडिडेट के हारने से पार्टी के सामने अचानक ही परेशानी खड़ी हो गई थी। भाजपा सरकार के गठन में डेढ़ सप्ताह तक अटकी रही थी,सुक्खू सरकार ने 16 दिन पहले काम शुरू किया है। बता दे कि 2017 में चुनाव के परिणाम 9 दिसंबर को घोषित किये गए थे।