शिमला/प्रकाश शर्मा : कहते है “Parents are our first teachers”। ये लाइनें हिमाचल के क्रिकेट खिलाड़ी मयंक डागर पर सटीक बैठती है। 26 साल के मयंक डागर के पिता का सपना था कि वह क्रिकेट में भारत का प्रतिनिधित्व करें। लेकिन हालत कुछ ऐसे बने की जितेंद्र डागर का ये सपना, सपना ही रह गया। परिवार की जिम्मेदारियों ने कुछ इस कदर घेर लिया कि जो सपना अपने लिए देखा था, उसे बेटे को विरासत में सौंप दिया। पिता ने बेटे को एक अच्छे क्रिकेट खिलाडी बनाने की ठान ली। बेटे में भी क्रिकेट के प्रति बचपन से ही एक अलग जुनून था। चूंकि पिता खुद क्रिकेट को पसंद करते थे लिहाजा उन्होंने भी बेटे के इस हुनर को बखूबी परखा और खुद बेटे के साथ मैदान में जुट गए। शिमला के रहने वाले मयंक भी पिता के सपनों पर खरा उतरने लगा।
दोनों की मेहनत तब रंग लाने लगी जब मयंक ने पहले 2015 में अपना लिस्ट ए में डेब्यू किया और बाद में ICC अंडर-19 वर्ल्ड कप 2016 में भारत का प्रतिनिधित्व किया। 2016 में यह नाम काफी चर्चाओं में रहा। इसके बाद से मयंक ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार हिमाचल के लिए अच्छा खेल दिखाते रहे। विजय हजारे ट्रॉफी में हिमाचल चैंपियन बना। सैय्यद मुस्ताक अली ट्रॉफी में हिमाचल फाइनल तक पंहुचा। इन दोनों बड़ी सफलता में मयंक का बड़ा किरदार रहा।
पिता व बेटे की मेहनत का एक और नतीजा 23 दिसंबर 2022 के दिन मिला। आईपीएल ऑक्शन 2022 ने मयंक को कुछ ही पलों में करोड़पति बना दिया। पिता की आँखों में ख़ुशी के आंसू थे। 20 लाख बेस प्राइज के साथ ऑक्शन में उतरे मयंक की बोली एक करोड़ 80 लाख पर रुकी। परिवार ऑक्शन को काफी उम्मीदों के साथ देख रहा था। मयंक ने बताया कि ऑक्शन के दिन उनका रणजी ट्रॉफी का मैच था। मैच खत्म होते ही सीधा कमरे में पहुंचे और टीवी ऑन कर ऑक्शन देखने लगे। परिवार भी वीडियो कॉल पर उनके साथ ऑक्शन देख रहा था। जब उनका नाम आया तो परिवार भी काफी इमोशनल हो गया था। 20 लाख के बेस प्राइस के बाद बोली एक करोड़ 80 हजार पर रुकी।
पिता न होते तो यहां तक नहीं पहुंच पाता
मयंक ने खास बातचीत में बताया कि क्रिकेट में यहां तक पहुंचने में उनके पिता का सबसे बड़ा हाथ रहा है। मयंक ने बताया कि पिता ही उनके पहले कोच, मेंटोर व ट्रेनर रहे है। जब भी कोई मैच होता पापा उनके साथ बने रहते। हर मैच से पहले पापा उनकी ट्रेनिंग में हेल्प करते है। उनके मोटिवेशन के कारण ही वह आज इस मुकाम तक पहुंचे हैं।
राजस्थान रॉयल्स और सनराइजर्स हैदराबाद के बीच हुई मयंक को लेकर जंग
मयंक डागर को लेकर राजस्थान रॉयल्स और सनराइजर्स हैदराबाद के बीच बोली के दौरान जंग देखने को मिली। उनका बेस प्राइस 20 लाख रुपये था, जिस पर हैदराबाद ने बोली लगाई। फिर राजस्थान ने 25, 35 और 95 लाख तक की बोली लगा दी। हैदराबाद ने एक करोड़ रुपये की बोली लगाई और यह सिलसिला चलता रहा। आखिर में राजस्थान ने 1.7 करोड़ की बोली लगाकर अपना हाथ रोक लिया। हैदराबाद ने 1.8 करोड़ रुपये की बोली लगाकर आखिरकार उन्हें खरीदा।
वीरेंद्र सहवाग के साथ क्या है मयंक का संबंध
दरअसल, वीरेंद्र सहवाग मयंक के रिश्ते में मामा लगते है। इस बारे में जब मयंक से पूछा गया तो उन्होंने भी हामी भरी। मयंक ने बताया कि उनका भी मेरे इस करियर में काफी बड़ा योगदान रहा है। जब वह पंजाब ले लिए खेला करते थे तो सहवाग उनके मेंटोर थे। उन्होंने कहा कि जब भी उनसे मिलता था तो वह उन्हें काफी मोटीवेट करते रहे । उन्होंने कहा कि ये उनके लिए गर्व की बात है कि सहवाग को वह पहले से ही जानते थे जो उनके लिए एक आइडल भी रहे है।
ऑलराउंडर हैं मयंक
मयंक घरेलू क्रिकेट में हिमाचल प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने अपने अभी तक के फर्स्ट क्लास करियर में 29 मैचों में 87 विकेट लिए और कुल 732 रन बनाए हैं। अपने ओवरऑल टी20 करियर में मयंक ने अभी तक 44 मैचों में 44 ही विकेट लिए हैं और 72 रन ठोके हैं। वह लिस्ट ए में 46 मैचों में 51 विकेट ले चुके हैं। इसके अलावा एक अर्धशतक की मदद से लिस्ट ए में कुल 393 रन भी बनाए है।
टीम इंडिया की राह
भारत के लिए खेलने को लेकर पूछे गए सवाल में मयंक ने बताया कि यहाँ अच्छे से निरंतर मेहनत कर रहा हूं। टीम में शामिल होना उनके हाथ में नहीं है। वह आज के खेल को बेहतर करने की कोशिश में जुटे हैं। उम्मीद है एक दिन भारत के लिए खेलने का भी मौका मिलेगा। उन्होंने बताया कि उनकी कोशिश रहेगी की आईपीएल में अच्छा प्रदर्शन करूं ।
पंजाब ने खरीदा लेकिन डेब्यू नहीं
पिछले सत्र में मयंक पर पंजाब किंग्स इलेवन ने भरोसा जताया था लेकिन उन्हें एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिला ,’ जिसकी वजह से उनका टैलेंट दुनिया के सामने नहीं आ सका। हालांकि मयंक डागर घरेलू क्रिकेट में धमाकेदार पारियां खेल चुके हैं। गेंदबाजी में उनका प्रदर्शन अव्वल दर्जे का रहा। उन्हें बस एक मौके की तलाश है।