शिमला/सुंदरनगर, 16 दिसंबर : हिमाचल व केंद्र सरकार वीआईपी कल्चर को खत्म करने का दम भरती है, लेकिन इसके विपरीत राज्य के अधिकारी बहुरंगी बत्तियों व पदनामों का कथित दुरुपयोग कर रहे है। बाहरी राज्यों के रसूखदारों को स्टेट गेस्ट बना दिया जाता है। फिर उन्हें पुलिस एस्कॉर्ट वाहन के अलावा टैक्सी वाहनों पर भी मल्टीकलर बत्तियां लगाने की अनुमति दी जा रही है।
लाजमी तौर ये वीआईपी कल्चर खत्म करने की मुहिम को झटका है।आपदा प्रबंधन की आड़ में उच्च प्रशासनिक अधिकारियों ने उपमंडल अधिकारियों को वाहनों पर बहुरंगी बत्तियां लगाने की खुली छूट दे रखी है। वहीं अधिकारियों के एक तबके ने वाहनों पर पदनाम भी अंकित करवा रखे है।
इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होनी चाहिए कि सड़को पर बत्तियों वाले वाहनों से आमजन को असुविधा होती है। दो वर्ष पूर्व कोरोना काल से विधानसभा चुनावों में आचार संहिता के दौर में भी वाहनों पर मल्टी कलर बत्तियों का दुरुपयोग जारी है।
आमजन को वीआईपी कल्चर से हो रही असुविधा से निजात दिलाने के लिए सुंदरनगर से सामाजिक कार्यकर्ता अश्वनी सैनी ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने मुख्य न्यायाधीश व नवनियुक्त मुख्यमंत्री सुखविंदर सुखु, परिवहन मंत्री मुकेश अग्निहोत्री, मुख्य सचिव, डीजीपी को ईमेल के माध्यम से शिकायत पत्र भेजा है। उन्होंने अवैध तौर पर प्रशासनिक व अन्य वाहनों पर बत्तियां व पदनाम लगाए जाने पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने मांग की है कि सरकार की वीआईपी कल्चर (VIP Culture) खत्म करने की मुहिम में कोरोना काल की आड़ में सरकारी वाहनों पर लगाई गई वैध बत्तियों को तुरंत प्रभाव से हटाया जाए।
उधर, मंडी के अतिरिक्त उपायुक्त जतिंन लाल ने कहा कि किन परिस्थितियों में सरकारी वाहनों पर बत्तियां लगाई गई है, इसकी जानकारी ली जाएगी। वहीं इसके बाद उचित कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।