सोलन/बिलासपुर, 15 दिसंबर : हिमाचल प्रदेश के दाड़लाघाट में स्थित अंबुजा सीमेंट प्लांट व बिलासपुर के बरमाणा स्थित ACC सीमेंट के उद्योग पर बुधवार को कंपनी ने ताले लगा दिए। ऐसा बताया जा रहा है कि यहां कंपनी को काफी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ रहा है जिस कारण कंपनी ने इन उद्योगों को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया है। सूबे की दोनों फैक्ट्री के कर्मचारियों के लिए काम पर ना आने के फरमान भी जारी कर दिए गया है। जिस कारण तकरीबन 2 हजार कर्मचारियों का भविष्य खतरे में है। इन कर्मचारियों को अपनी रोजी-रोटी की चिंता सताने लगी है।
अंबुजा सीमेंट कंपनी के महाप्रबंधक राजेश लखन पाल ने सीमेंट फैक्ट्री को अनिश्चितकाल तक बंद करने का फैसला लिया है। कंपनी का स्पष्ट कहना था कि वह वर्तमान रेट पर माल ढुलाई करने के लिए तैयार नहीं है। इसके कारण सीमेंट की उत्पादन लागत बढ़ रही है। परिवहन लागत अधिक होने के कारण कंपनी को बहुत नुकसान उठाना पड़ रहा है। यदि यही स्थिति बनी रही तो सीमेंट उत्पादन को ही बंद करना पड़ेगा।
उधर एसीसी प्रबंधन की ओर से जारी नोटिस में लिखा गया है परिवहन और कच्चे माल की लागत में वृद्धि और बाजार की मौजूदा स्थिति के कारण सीमेंट की ढुलाई में भारी कमी आई है। जिस कारण हमारे बाजार हिस्से पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है और इसके परिणामस्वरूप कंपनी को भारी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ रहा है। उपरोक्त स्थिति को ध्यान में रखते हुए प्रबंधन संयंत्र के संचालन और गगाल सीमेंट प्लांट से संबंधित सभी गतिविधियों को तत्काल प्रभाव से बंद करने के लिए मजबूर है। प्रबंधन की ओर से कर्मचारियों को 15 दिसंबर के बाद काम पर न आने के फरमान जारी कर दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि जब तक हालात में सुधार नहीं आता तब तक कर्मचारी काम पर ना लौटे। सिर्फ आपातकालीन सेवाओं में सुरक्षाकर्मी वह बिजली कर्मचारियों की फैक्ट्री में अपनी सेवाएं देंगे
4 हजार ट्रकों के थमेंगे पहिए
वीरवार से एसीसी फैक्ट्री बरमाणा के बंद हो जाने से अब ट्रक परिवहन पर निर्भर बरमाणा से लेकर स्वारघाट तक छोटे-छोटे दुकानदार से लेकर बड़े व्यवसायियों पर भी असर पड़ेगा। एसीसी की गागल इकाई में 4 हजार ट्रकों के पहिए घूम रहे थे। वहीं उनके साथ जुड़े ट्रक चालक व परिचालक तथा मैकेनिक के अलावा एसीसी में 300 कर्मचारी काम कर रहे हैं, वहीं 900 कामगार कांट्रैक्टर के अधीन जुड़े हैं। अडानी समूह पिछले कई दिनों से यह बात कह रहा था कि एसीसी की गागल इकाई घाटे में चल रही है और सुधार के संकेत भी नजर नहीं आ रहे हैं। उधर अंबुजा कंपनी में 7 ट्रक ऑपरेटर सोसायटियों में कार्यरत करीब 3 हजार ट्रक ऑपरेटरों के सामने में एक बड़ा संकट खड़ा हो गया है।