शिमला, 23 नवंबर : बेशक ही इस बार के विधानसभा चुनाव (assembly elections) में वोट प्रतिशत (vote percentage) की दृष्टि से पुराने तमाम रिकॉर्ड टूटे है। 12 नवंबर को 2022 के विधानसभा चुनाव में 50 साल के भीतर सबसे अधिक मतदान दर्ज हुआ।
2017 के विधानसभा चुनाव में 75.57 प्रतिशत मतदान हुआ था, जबकि 2022 में ये आंकड़ा बढ़कर … प्रतिशत हो गया। इसमें भी कोई दो राय नहीं है कि अब तक के विधानसभा चुनावों में इस बार की वोट परसेंटेज सर्वाधिक है। तमाम रिकॉर्ड ध्वस्त हुए, इस बात में भी कोई राय नहीं होनी चाहिए कि 2 से 3 प्रतिशत वृद्धि की गुंजाइश भी थी।
लिहाजा, हिमाचल प्रदेश चुनाव विभाग (Himachal Pradesh Election Department) ने राज्य के तमाम विभाग अध्यक्षों से लिखित तौर पर यह जानकारी मांगी है कि कितने सरकारी कर्मचारियों ने 12 नवंबर को मतदान किया है। आपको बता दें कि एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने आशंका जाहिर की थी कि शनिवार व रविवार की छुट्टी एक साथ होने के कारण कर्मचारियों की दिलचस्पी मतदान के प्रति कम हो सकती थी।ये अलग बात है कि सपष्ट आंकड़ा बाद में ही साफ़ हो पाएगा।
उल्लेखनीय है कि 12 नवंबर को मतदान के मकसद से सरकारी कर्मचारियों व अर्द्ध सरकारी विभागों में अवकाश घोषित किया गया था। इत्तफाकन 12 नवंबर को दूसरा शनिवार था। 13 नवंबर को रविवार की छुट्टी थी। आयोग अब इस बात का आंकड़ा जुटा रहा है कि सरकारी कर्मचारियों ने कितनी संख्या में मतदान किया। एक अनुमान के मुताबिक हिमाचल प्रदेश में साढ़े 3 से 4 लाखकर्मचारी सेवाएं प्रदान कर रहे है।
हिमाचल में यह पहली बार हो रहा है कि जब कर्मचारियों के मतदान को लेकर जानकारी आंकड़ा जुटाया जा रहा है। फ़िलहाल ये भी साफ नहीं हुआ है कि क्या नियमित कर्मचारियों के साथ -साथ कॉन्ट्रैक्ट व ऑउटसोर्स कर्मियों का डाटा भी तलब किया गया है या नहीं। दीगर है कि शहरी क्षेत्रों में वोटर्स ने मत को लेकर कम दिलचस्पी दिखाई। शहरी क्षेत्रों में मत परसेंटेज भी चुनाव विभाग के लिए चिंता का विषय है।
जानकारों का कहना है कि चुनाव आयोग द्वारा अगर अग्रिम तौर पर यह कह दिया जाता है कि मतदान करने वाले कर्मचारियों का ब्यौरा एकत्रित किया जाएगा तो निश्चित तौर पर वोट प्रतिशत में इजाफा हो सकता था।
उधर, जानकारों का यह भी कहना है कि मतदाता सूचियों में विसंगतियों के कारण भी ओवर ऑल प्रतिशतता पर असर पड़ता है। हालांकि यह अंतर काफी मामूली हो सकता था, लेकिन असर तो डाला ही है। इसके मुताबिक कई मतदान केंद्रों की मतदाता सूचियों में ऐसे मतदाता भी शामिल किए गए थे, जिनका निधन हो चुका है। ऐसे में कुल मतदाताओं की संख्या में तो जुड़ गए थे, लेकिन धरातल पर वोट नहीं दे सकते थे।
दरअसल, 2022 के विधानसभा चुनाव में कर्मचारियों का वोट भी काफी मायने रख रहा था। ऐसा समझा जा रहा था कि कर्मचारियों का वर्ग जयराम सरकार के विरोध में वोट डालेगा। यह अलग बात है कि रिपोर्ट कार्ड 8 दिसंबर को आने के बाद ही तमाम बातों से पर्दा हटेगा।