सोलन, 18 नवंबर : पहले यह काम मजबूरी में किया था, लेकिन अब पैशन बन चुका है। मेरा मानना है कि दुनिया में कोई काम बड़ा या छोटा नहीं होता। आत्मनिर्भर होने के लिए आपको कुछ भी करना पड़ सकता है। आधुनिक युग में हर फील्ड में महिलाएं, पुरुषों के बराबर सफल हो रही हैं। ऐसा कोई काम नहीं जहां महिलाएं पीछे रही हों। यह बात हिमाचल प्रदेश की पहली महिला टैक्सी ड्राइवर रवीना ठाकुर ने सोलन पहुंचने पर कही।
बातचीत में उन्होंने बताया कि पहले यह काम उसने मजबूरी में किया, लेकिन अब पैशन बन गया है। वे अब हिमाचल से बाहर दिल्ली-चंडीगढ़ में भी अपनी टैक्सी दौड़ाती हैं। मनाली की रवीना ठाकुर, हिमाचल की पहली महिला टैक्सी ड्राइवर होने पर सम्मानित हो चुकी हैं। प्रदेश सरकार ने उन्हें 2021 में उन्हें नारी शक्ति अवॉर्ड से सम्मानित किया था। वह ग्रेजुएट हैं और इस फील्ड में काम करने से खुश हैं। महिलाएं इस फील्ड में बहुत कम आती हैं, लेकिन आज रवीना की सफलता अन्य महिलाओं के लिए भी मिसाल है।
रवीना बताती हैं कि 2014 में अचानक उनके पिता का निधन हो गया। घर चलना मुश्किल हो गया। घर में उसके अलावा उनकी माता और 2 छोटे भाई-बहन हैं। पिता टैक्सी चलाते थे और घर में उनकी गाड़ी थी। घर चलाने के लिए रवीना ने मजबूरन अपने पिता की टैक्सी चलानी शुरू की। शुरू में वह टैक्सी स्टैंड पर जाने से हिचकिचाती थी, लेकिन धीरे-धीरे सब सामान्य होने लगा।
वह ज्यादातर मनाली से अटल टनल, मणिकर्ण व कुल्लू में ज्यादा टैक्सी चलाती हैं, लेकिन हिमाचल का कोई हिस्सा नहीं जहां वे टैक्सी लेकर न पहुंची हों। इतना ही नहीं दिल्ली-चंडीगढ़ जैसे बड़े शहरों में भी वे आज बेखौफ होकर अपनी टैक्सी दौड़ाती।, हैं।