शिमला, 15 नवंबर : बदलते मौसम में तापमान में लगातार उतार-चढ़ाव शरीर में दिक्कतें पैदा करता है। बारिश भी चुनौती भरा बना देती है। हिमाचल प्रदेश में ठंड का प्रकाेप लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे में पेरेंटस के लिए सबसे बड़ी परेशानी स्कूल जाने वाले बच्चों की है। बच्चों को ठंड से बचाने और उनकी देखभाल करना बेहद जरूरी है।
अक्सर माता-पिता यह समझ नहीं पाते कि ठंड के मौसम में बच्चों को किस तरह के कपड़े पहनाए रखे जाने चाहिए। वे या तो काफी कपड़े पहना देते हैं या फिर सामान्य पतले कपड़ों में ही बच्चे को रहने देते हैं। ये दोनों ही स्थितियां बच्चों के लिहाज से मुश्किल खड़ी कर सकती हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक ज्यादातर पैरेंट्स सिंगल फैमिली के रूप में रहते हैं, ऐसे में उन्हें असरदार पारंपरिक नुस्खे बताने वाला भी कोई नही होता। ऐसे में आईजीएमसी के चिकित्सक ने एडवाइजरी जारी की है। इसमें बताया गया है कि बच्चों को ठंड से बचाने के लिए विशेष ध्यान देने की जरूरत है। IGMC के डिप्टी एमएस और विशेषज्ञ डॉक्टर प्रवीण एस भाटिया का कहना है कि संक्रमण से लड़ने में पोषक तत्व की अहम भूमिका होती है। बच्चों को संतरे, स्ट्रॉबेरी, व टमाटर जैसे विटामिन सी वाले सिट्रस फल खाने को दें। ये फल और सब्जियां सर्दी-जुकाम से बचाने का काम करती हैं। ठंड लग भी जाएं तो विटामिन C बच्चों की जल्दी रिकवरी करता है। विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि नवजात को ठंड में उल्टी दस्त का ज्यादा खतरा होता है। दस्त के साथ बच्चे के शरीर से बहुत पानी निकल जाता है। इसी कारण बच्चे को अधिक प्यास लगती है, कमजोरी महसूस होती है। पेशाब में कमी हो जाती है।
जीभ, मुंह में खुश्की, त्वचा में ढीलापन, सांस नाडी की गति सामान्य से तेज, ताल आँखें धंसने लगती है। नवजात को मां के दूध के अलावा ओआरएस और बार बार पानी देना बेहद जरूरी है। सर्दी-जुकाम या बुखार होने पर बच्चे सुस्त हो जाते हैं और खाना-पीना छोड़ देते हैं। ठंड न लगे इसलिए बच्चों की इम्यूनिटी को बढ़ाना जरूरी है। डॉक्टरों की रिसर्च के मुताबिक जो बच्चे पूरी नींद नहीं लेते हैं, उनमें सर्दी-जुकाम जैसी बीमारी होने की संभावना अधिक होती है। ऐसे में बच्चों के सोने का समय तय कर लें।