शिमला, 12 नवंबर : हिमाचल प्रदेश के मतदाताओं ने शनिवार को 14वीं विधानसभा चुनाव के उत्सव में हिस्सा लिया। मत प्रतिशत के अंतिम आंकड़े को लेकर संडे को भी असमंजस रहा। इसकी वजह सर्विस वोटर्स है, क्योंकि इन वोट्स के मिलने के सिलसिला जारी है। आयोग ने रविवार शाम को वोट परसेंटेज के नए आंकड़े जारी किए। इसके मुताबिक प्रदेश में 75.6 प्रतिशत मतदान हुआ है। इसमें एक प्रतिशत पोस्टल बैलट भी शामिल है।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनीष गर्ग ने ये भी बताया है कि 2 प्रतिशत पोस्टल बैलट रिसीव होने शेष है। इसमें कोई दोराय नहीं है कि हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में शनिवार को हुई बंपर वोटिंग ने पिछले तमाम चुनावों के रिकार्ड को ध्वस्त कर दिया है। प्रदेश में इस बार 75.60 प्रतिशत मतदान हुआ है। हालांकि इसमें बढ़ोतरी होगी।
ये तय हो गया है कि 50 साल के इतिहास में इस बार सर्वाधिक मतदान हुआ है। ये अलग बात है कि मत प्रतिशतता में इजाफा “तिल” बराबर हुआ है। अंतिम आंकड़ा 77 से 78 प्रतिशत के बीच में रह सकता है। 2017 में 68 विधानसभा क्षेत्रों में 75.57 प्रतिशत मतदान दर्ज हुआ था। ये भी अहम है कि 1977 के बाद ये दो मर्तबा ऐसा हुआ, जब मत प्रतिशतता 70% से कम रही। 68 विधानसभा क्षेत्रों में सबसे कम मतदान शिमला (शहरी) सीट पर हुआ। ये इस बात का संकेत देता है कि भविष्य में शहरी मतदाताओं को जागरूक करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। हिमाचल प्रदेश में चुनाव आयोग ने मत प्रतिशतता बढ़ाने को लेकर कई कदम उठाए। इसमें बुजुर्ग व दिव्यांग मतदाताओं के लिए मोबाइल पोलिंग बूथ शामिल किए गए। साथ ही मतदाताओं को जागरूक करने के लिए भी अनूठे तरीके से अभियान हुए।
ये है 50 साल का खाका….
1977 के चुनाव में 58.57 प्रतिशत मतदान हुआ। 1982 में ये आंकड़ा 71.06 प्रतिशत का हो गया। लेकिन तीन साल बाद 1985 में गिरावट दर्ज हुई। 70.36 प्रतिशत मतदान हुआ। पांच साल बाद 1990 में भी गिरावट दर्ज की गई। मतदान की प्रतिशतता 67.74 थी। 1993 में अच्छी खबर ये थी कि आंकड़ा तीसरी बार 70 फीसदी को पार कर 71.72 पर पहुंचा।
1998 में मत प्रतिशतता में मामूली गिरावट आई। 71.23 प्रतिशत मतदान दर्ज हुआ। 1977 के बाद 2003 में सबसे अधिक मत प्रतिशतता का रिकॉर्ड बना जो 74.51 प्रतिशत थी। 2007 में गिरावट दर्ज हुई। मत प्रतिशतता 71.61 थी। 2012 में मत प्रतिशतता 71.61 से बढ़कर 73.51 हुई। 2017 में मत प्रतिशतता ने 2003 का रिकाॅर्ड तोड़ा। आंकड़ा 75.57 प्रतिशत हुआ। 2022 में नया रिकॉर्ड कायम हुआ है। गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में चार संसदीय सीटों पर 72.42 प्रतिशत मतदान दर्ज हुआ।
उधर, राज्य निर्वाचन अधिकारी मनीष गर्ग ने बताया कि ईवीएम के माध्यम से मतदान प्रतिशत 74.60 था। इसके अलावा, एक प्रतिशत डाक मतपत्र पहले ही प्राप्त हो चुके हैं, जिससे अब तक कुल मतदान 75.60 प्रतिशत हो गया है। लगभग दो प्रतिशत डाल मतपत्र अभी प्राप्त नहीं हुए हैं। इस तरह अनुमानित मतदान प्रतिशत का आंकड़ा 77 प्रतिशत पार कर जाएगा। मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि 2022 के विस चुनाव में सोलन जिला दून में सबसे अधिक मतदान 85.25 प्रतिशत और सबसे कम 62.53 प्रतिशत शिमला शहरी में हुआ था।
उन्होंने कहा कि इन निर्वाचन क्षेत्रों में शामिल धर्मपुर, जयसिंहपुर, शिमला, बैजनाथ, भोरंज, सोलन, कसुम्पती, सरकाघाट, जसवां प्रागपुर, हमीरपुर और बड़सर के तुलनात्मक विश्लेषण से पता चला कि उपरोक्त 11 में से 9 में मतदान में 7 प्रतिशत सुधार हुआ है।
उन्होंने कहा कि धर्मपुर में 2017 के विस चुनाव में 63.6 फीसदी मत पड़े थे, जबकि 2022 में यहां 70.54 फीसदी वोटिंग गई है। इसी तरह जयसिंहपुर में 2017 में 63.79 % से बढ़कर 65.31 फीसदी, भोरंज में 2017 में 65.04 प्रतिशत से बढ़कर वर्तमान विधानसभा चुनाव में 68.55 प्रतिशत हो गया। सोलन में 66.45 प्रतिशत से बढ़कर 66.84, बरसर में 69.06 से 71.17 प्रतिशत, हमीरपुर में 68.52 से 71.28, जसवां-प्रागपुर में 68.41 से बढ़कर 73.67 प्रतिशत, सरकाघाट में 67.23 से बढ़कर 68.06 और कुसुम्पटी में 66.86 से बढ़कर 68.24 प्रतिशत हुआ। हालांकि, शिमला शहरी में प्रतिशत 2017 में 63.93 प्रतिशत से थोड़ा कम होकर 2022 के विस चुनाव में 62.53 और बैजनाथ में 64.92 से कम होकर में 63.46 हो गया।
मनीष गर्ग ने कहा कि 2022 के विस चुनाव में मतदाताओं में कुल पुरुष 27,88,925 थे, महिला मतदाता 27,36,306 और तीसरे लिंग के मतदाता 38 थे। इनमें से मताधिकार के अधिकार का प्रयोग करने वाले पुरुष जनसंख्या का कुल प्रतिशत 72.4 था और महिलाओं की संख्या 76.8 प्रतिशत थी।