शिमला, 12 नवंबर : हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के मतदाताओं ने शनिवार को 14वीं विधानसभा चुनने के लिए लोकतंत्र के उत्सव में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। पहाड़ी प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से कई खास तरह की तस्वीरें सामने आई। 68 विधानसभा क्षेत्रों (assembly constituencies) में मतदान शांतिपूर्ण हुआ लेकिन देर शाम कार्यकर्ताओं के बीच झड़प की ख़बरें सिरमौर व ऊना से सामने आई। जबकि शिमला के रामपुर में एक निजी वाहन से ईवीएम की बरामदगी पर खासा बवाल मचा हुआ है।
2017 में 68 विधानसभा क्षेत्रों में 75.57 प्रतिशत मतदान दर्ज हुआ था। शनिवार को मतदान प्रतिशतता का आंकड़ा रात साढ़े 11 बजे तक 74 प्रतिशत रहा। हालांकि, ये अंतिम आंकड़ा नहीं है। देर रात तक मत प्रतिशतता (percentage) के आंकड़े के अपडेट होने की संभावना जताई जा रही है। ऐसी उम्मीद है कि कुल मत प्रतिशतता 75 फीसदी अधिक हो सकती है। ऊना से अंतिम आंकड़ा सामने आ चुका है। इसके मुताबिक जिला में 77.28 फीसदी मतदान हुआ है। सिरमौर में 78 फीसदी मतदान की जानकारी है। राज्य के करीब आधा दर्जन विधानसभा क्षेत्रों में मतदान पूरा न होने के कारण मत प्रतिशतता के आंकड़े में भी बिलंब हो रहा है।
उधर, कुल्लू में 76. 88 फीसदी मतदान का समाचार हैं। चंबा में 74 फीसदी मतदान हुआ है। सबसे अधिक चुराह विधानसभा क्षेत्र में 74.02 प्रतिशत वोटिंग की सूचना है।
50 साल की मत प्रतिशतता की बात करें तो 1977 में 58.57 प्रतिशत थी जो 2017 में बढ़कर 75.57 प्रतिशत तक पहुंच गई है। 1977 के बाद केवल 1990 में ही मत प्रतिशतता 70 फीसदी से कम रही थी।
बता दें कि हिमाचल प्रदेश में चुनाव आयोग ने मत प्रतिशतता बढ़ाने को लेकर कई कदम उठाए। इसमें बुजुर्ग व दिव्यांग मतदाताओं के लिए मोबाइल पोलिंग बूथ शामिल किए गए। साथ ही मतदाताओं को जागरूक करने के लिए भी अनूठे तरीके से अभियान हुए।
ये है 50 साल का खाका…. 1977 के चुनाव में 58.57 प्रतिशत मतदान हुआ। 1982 में ये आंकड़ा 71.06 प्रतिशत का हो गया। लेकिन तीन साल बाद 1985 में गिरावट दर्ज हुई। 70.36 प्रतिशत मतदान हुआ। पांच साल बाद 1990 में भी गिरावट दर्ज की गई। मतदान की प्रतिशतता 67.74 थी। 1993 में अच्छी खबर ये थी कि आंकड़ा तीसरी बाद 70 फीसदी को पार कर 71.72 पर पहुंचा।
1998 में मत प्रतिशतता में मामूली गिरावट आई। 71.23 प्रतिशत मतदान दर्ज हुआ। 2003 में अब तक की सबसे अधिक मत प्रतिशतता 74.51 प्रतिशत रही। 2007 में गिरावट दर्ज हुई। मत प्रतिशतता 71.61 थी। 2012 में मत प्रतिशतता 71.61 से बढ़कर 73.51 हुई। 2017 में मत प्रतिशतता ने 2003 का रिकाॅर्ड तोड़ा। आंकड़ा 75.37 प्रतिशत हुआ। ऐसी उम्मीद थी कि 2022 में नया रिकाॅर्ड कायम होगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में चार संसदीय सीटों पर 72.42 प्रतिशत मतदान दर्ज हुआ।