रोनहाट, 11 नवंबर : शताब्दी में मुगल सेना के छक्के छुड़ाने वाले तत्कालीन सिरमौर रियासत का हिस्सा रहे मलेथा गांव के निवासी वीर योद्धा नंतराम नेगी ‘गुलदार’ की भव्य प्रतिमा का अनावरण सहिया कृषि मंडी के गेट पर आरएसएस के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य व पूर्व सर कार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी ने किया।
अपने अदम्य साहस और वीरता से मुग़ल सल्तनत के आततायी से 18वीं शताब्दी में सिरमौर रियासत को आज़ाद करवाने वाले वीर योद्धा “नंतराम नेगी गुलदार” की गाथाओं का सिरमौर और जौनसार-बाबर के सांस्कृतिक गीतों व हारुल में सदियों से वर्णन मिलता आ रहा है।
इतिहासकार जीआरसी बिलियमस ने ‘मेमॉयर ऑफ़ देहरादून’ नामक पुस्तक में लिखी गई जानकारी के अनुसार सन 1786 में शैतान ग़ुलाम क़ादिर ने हरिद्वार पर आक्रमण किया। देहरादून को तबाह करने के बाद गुरुद्वारा गुरु राम रॉय को अपवित्र किया। सिरमौर रियासत की राजधानी नाहन पर आक्रमण करने के लिए आगे बढ़ा। उस दौर में उत्तराखंड राज्य का हरिद्वार और देहरादून भी सिरमौर रियासत का ही अभिन्न हिस्सा हुआ करते थे।
सिरमौर रियासत के तत्कालीन राजा जगत प्रकाश उस समय वयस्क नहीं थे, इसलिए राजा की मां ने मलेथा निवासी नंतराम नेगी को सहायता के लिए बुलाया था। राजा जगत प्रकाश और नंतराम नेगी सिरमौर की सेना के साथ कटासन की तरफ बढ़े और मुगल सेना से डटकर युद्ध किया।
इस दौरान नंतराम नेगी ने मुगल शासक के सेनापति का सिर धड़ से अलग कर दिया और मुगल सेना युद्ध छोड़कर भाग गई। इस युद्ध में दुश्मनों से लोहा लेते हुए नंतराम नेगी शहीद हो गए थे। वीर योद्धा नंतराम नेगी को उनके अदम्य साहस के लिए सिरमौर रियासत के राजा द्वारा मरणोपरांत ‘गुलदार’ की उपाधि से नवाजा गया था।
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उत्तराखंड का सहिया जो पहले सिरमौर रियासत का हिस्सा हुआ करता था वीर योद्धा नंतराम नेगी गुलदार की 9 फीट ऊंची प्रतिमा को क़रीब दस क्विंटल पीतल, तांबा और कांसा लगाकर तैयार किया गया है।
प्रतिमा के अनावरण के दौरान हिमाचल और जौनसार के अलग-अलग हिस्सों में रहने वाले वीर नंतराम नेगी गुलदार के 40 परिवारों के करीब 300 वंशजों ने मुगल काल के प्राचीन हथियारों को हवा में लहराकर गाजे-बाजे के साथ नाचते हुए अपने पूर्वजों की वीरता के गौरवशाली इतिहास का वर्णन किया।