शिमला, 02 नवंबर : हमीरपुर जनपद की नादौन हॉट सीट बन गई है। कांग्रेस प्रत्याशी को सीएम कैंडिडेट के तौर पर भी प्रोजेक्ट किया जा रहा है। कांग्रेस ने सुक्खू को हिमाचल कांग्रेस चुनाव प्रचार समिति अध्यक्ष की बागडोर भी सौंपी हुई है।
लिहाजा सुखविंदर सिंह सुक्खू की प्रतिष्ठा दांव पर है, भाजपा (BJP) के विजय अग्निहोत्री पूरे दमखम से चुनाव लड़ रहे है। ये दोनों परम्परागत प्रतिद्वंदी रहे है। आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party)के शैंकी ठुकराल जंग को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में है। जातिगत समीकरण को आधार बनाया जा रहा है। सुक्खू राजपूत बिरादरी से सम्बन्ध रखते है, भाजपा के विजय अग्निहोत्री ब्राह्मण समुदाय से है।
“आप” ने मास्टर स्ट्रोक (Master Stroke) खेलते हुए ओबीसी बिरादरी के शैंकी ठुकराल को टिकट देकर प्रमुख प्रत्याशियों की नींदे उड़ा दी है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि यहां ओबीसी बिरादरी के वोटरों की संख्या काफी बड़ी तादाद में हैं।
नादौन विधानसभा क्षेत्र के तमाम चुनावी आंकड़े बदल गए हैं। अगर शैंकी ने ओबीसी वोट बैंक में सेंध लगा दी तो कांग्रेस व भाजपा के उम्मीदवारों का चुनावी गणित बिगड़ जाएगा। काबिले जिक्र है कि यहां से दिवंगत नारायण चंद पराशर लंबे समय तक विधायक व मंत्री रहे है। उनके निधन के बाद यहां से कोई ओबीसी नेता नहीं उभर पाया। अगर जातिवाद का कार्ड चला तो शैंकी ठुकराल चुनावी समीकरण बिगाड़ने में अहम रोल निभा सकते हैं।
क्या है राजनीतिक इतिहास यह सीट अनारक्षित है। 2017 के चुनाव में कांग्रेस के सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बीजेपी के विजय अग्निहोत्री को 2349 मतों से शिकस्त दी थी। सुक्खू के मैदान में होने की वजह से नादौन सीट पर प्रदेश भर की निगाहें लगी हुई हैं। 2012 के चुनाव में सुक्खू को बीजेपी के अग्निहोत्री को हरा दिया था।
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नादौन सीट पर भाजपा और कांग्रेस में पिछले कुछ चुनावों में कांटे की टक्कर देखने को मिली है। विधानसभा क्षेत्र में एक नहीं, बल्कि कई दफा रोचक मुकाबले देखने को मिले हैं, जबकि चौधरी समुदाय के वोट का विधानसभा क्षेत्र में खासा प्रभाव माना जाता है।
इस दफा चौधरी समुदाय से आम आदमी पार्टी ने प्रत्याशी शैंकी ठुकराल को चुनावी मैदान में उतारा है। साल 2003 और साल 2007 में इस वर्ग के प्रत्याशियों ने खासी भूमिका अदा करते हुए कांग्रेस की जीत में अहम भूमिका अदा की थी। समुदाय से किसी भी प्रत्याशी के चुनावी मैदान में उतरने से भाजपा को संभावित नुकसान माना जाता है।
विधानसभा क्षेत्र में मतों की दृष्टि से जीत का अंतर भी अधिक नहीं रहा है। पिछले तीन चुनावों में जीत का अंतर 500 से 6000 के बीच में रहा है। ऐसे में यहां पर अब चौधरी समुदाय के मतदाताओं पर सबकी नजर बनी हुई हैं।
इस बार के चुनावों में प्रभात चौधरी भाजपा के प्रत्याशी विजय अग्निहोत्री के साथ हैं, लेकिन उनके भतीजे शैंकी ठुकराल चुनावी दृष्टि से विधानसभा क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय थे, अब आम आदमी पार्टी ने उन्हें टिकट देकर इस वर्ग को रिझाने का भी प्रयास किया है। आम आदमी पार्टी का हमीरपुर जिले के अन्य विधानसभा क्षेत्रों के अपेक्षाकृत नादौन विधानसभा क्षेत्र में अधिक प्रभाव देखने को मिल रहा है।
यह देखना रोचक रहेगा कि बेहद ही कम रहने वाले जीत के मार्जिन में आम आदमी पार्टी का वोट प्रतिशत कितना रहता है। यहां से दिवंगत नारायण चंद पराशर वर्ष 1977, 1990,1993 में तीन बार विधायक रहे। वह शिक्षा जैसे अहम मंत्रालय के कैबिनेट मंत्री भी रहे। इसके अलावा बाबूराम मंडयाल एक बार भाजपा के टिकट पर 1998 में यहां से विधायक बने। सुखविंदर सिंह सुक्खू वर्ष 2003, 2007 व 2017 में तीन दफा यहां से जीते।
मतदाताओं के हाथ चाबी…
नादौन विधानसभा क्षेत्र में कुल 86,814 मतदाता हैं, जिनमें से 42,180 पुरुष तथा 42,868 महिला मतदाता हैं। यहां 1,766 सर्विस मतदाता सेना में पदस्थ और देश के बाहर पदस्थ सरकारी अधिकारी भी हैं। यहां मतदान प्रतिशत काफी अधिक रहता आया है।
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आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो वर्ष 1998 में यहां भाजपा के बाबूराम मंडयाल 48.83 % मत लेकर चुनाव जीते। 2003 में सुखविंदर सिंह सुक्खू 33.84 % मत लेकर विजयी हुए। 2007 में भी सुक्खू 38.57 % मत लेकर चुनाव जीते। जीत का अंतराल मात्र 586 मतों का रहा। 2012 में बीजेपी के विजय अग्निहोत्री 43.12 % मतों से विजयी बने। 2017 में सुक्खू दोबारा जीते। उन्हें 49.71 % मत मिले। वहीं उनके निकटतम प्रतिद्वंदी विजय अग्निहोत्री को 45.66 मत हासिल हुए।
सबल व निर्बल पक्ष…
कांग्रेस उम्मीदवार सुखविंदर सिंह सुक्खू को हलके के लोग सीएम बनता देखना चाहते हैं। यदि वह सीएम न भी बन पाए तो कम से कम जीतने पर कैबिनेट मंत्री बनना तय है। प्रदेश की राजनीति में उन्होंने कम समय में ऊंचा मुकाम हासिल किया है। हलके के अच्छी पैठ है। उनके निर्बल पक्ष में एक ही बात आती है कि वो हलके में कम समय बिताते है। दिल्ली व शिमला में अधिक रहते हैं।
विजय अग्निहोत्री हालांकि काफी समय से राजनीति में सक्रिय हैं, मगर भाजपा सरकार की एंटी इनकंबेंसी से नुकसान हो सकता है। वहीं आप के शैंकी ठुकराल को बिरादरी का फायदा मिल सकता है। उनका निर्बल पक्ष यह है कि वह वो लोगों के लिए नए है। वहीं उनके चाचा प्रभात चौधरी, जिनका ओबीसी वोटरों में काफी असर है, वो भाजपा उम्मीदवार विजय अग्निहोत्री के साथ डटे हुए हैं।
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उम्मीदवारों की चल अचल संपत्ति
नादौन के विधायक सुखविंद्र सिंह सुक्खू पर विधानसभा चुनाव प्रचार का जिम्मा है। चुनाव हल्फनामे में सुक्खू ने अपनी चल एवं अचल संपत्ति 8.45 करोड़ दिखाई है। 58 वर्षीय सुक्खू की चल संपत्ति मात्र पांच लाख है। जबकि उनकी पत्नी के नाम 20.70 लाख की चल संपत्ति है।
खास बात यह है कि सुक्खू 5.26 करोड़ की अचल संपत्ति के मालिक हैं। उनकी पत्नी के पास 1.98 करोड़ की अचल संपत्ति है। सुक्खू परिवार की अचल संपत्तियों में कृषि भूमि, गैर कृषि भूमि, व्यावसायिक और रिहायशी भवन हैं। हलफनामे में सुक्खू परिवार ने अपनी आय का स्त्रोत पेंशन, ठेकेदारी और स्वरोजगार बताया है। सुक्खू ने वर्ष 2021-22 में 17.28 लाख का आयकर भरा है। सुक्खू पर 20 लाख की देनदारियां भी हैं।
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पूर्व विधायक विजय कुमार अग्निहोत्री को भाजपा ने दोबारा नादौन से चुनाव मैदान में उतारा है। 55 वर्षीय विजय अग्निहोत्री के पास 2.58 करोड़ की चल व अचल संपत्ति है। निर्वाचन आयोग को दिए हल्फनामे में विजय अग्निहोत्री ने अपनी चल संपत्ति82.34 लाख और पत्नी की चल संपति 54.14 लाख दिखाई है। उनके बच्चे के नाम 2.10 लाख की संपत्ति है। विजय अग्निहोत्री के पास साढ़े 12 लाख तो पत्नी के पास 15 लाख के गहने हैं।
हल्फनामे के अनुसार विजय अग्निहोत्री की अचल संपत्ति 1.11 करोड़ है। उनकी पत्नी की अचल संपत्ति 9 लाख है। विजय अग्निहोत्री ने विधानसभा से 5.13 लाख का कार लोन भी लिया है। पिछले वितीय वर्ष में उन्होंने 11 लाख का आयकर भरा है।
आम आदमी पार्टी ने नादौन से युवा शैंकी ठुकराल पर दांव खेला है। 31 वर्षीय शैंकी ठुकराल भी करोड़पति हैं। उनके परिवार संपत्ति 2.82 करोड़ है। रोचक बात यह है कि शैंकी ठुकराल के परिवार के पास अचल संपत्ति नहीं है। उनके नाम 1.49 करोड़ की चल संपत्तिहै। जबकि उनकी पत्नी 1.18 करोड़ की मालकिन है। शैंकी के पास 15 लाख की कीमत के गहने हैं। वहीं उनकी पत्नी के पास 24 लाख के गहने हैं।