शिमला, 01 नवंबर : उत्तराखंड की सीमा पर चौपाल विधानसभा क्षेत्र (Chaupal Assembly Constituency) का विकास 60 के दशक से शुरू हुआ। विधानसभा क्षेत्र भौगोलिक रूप से प्राकृतिक संपदा से भरपूर है। खास बात ये है कि चौपाल निर्वाचन क्षेत्र से करोड़पति प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं।
भाजपा के बलबीर वर्मा प्रदेश के धनाढ्य राजनीतिज्ञ हैं। वहीं, कांग्रेस के रजनीश किमटा की गिनती हिमाचल प्रदेश के पहले पांच अमीर उम्मीदवारों में की जा रही है। किमटा अकसर निजी हेलीकॉप्टर से कार्यक्रमों में भाग लेने जाते हैं। किमटा ने सम्पति में मर्सिडीज़ कार के अलावा अन्य महंगी गाड़ियों का जिक्र तो किया, लेकिन हेलीकॉप्टर से जुड़ी जानकारी शेयर नहीं की है, लिहाजा रेंट पर लेते है।
निर्वाचन क्षेत्र की एक खासियत यह भी है कि यहां के मतदाता पार्टी को दरकिनार कर व्यक्तिगत छवि को तरजीह देकर मतदान करते हैं। जिसके चलते यहां अनेकों दफा निर्दलीय उम्मीदवारों ने चुनाव में बाजी मारी है। चौपाल विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक आबादी राजपूत वोटरों की है।
निर्वाचन क्षेत्र से अब तक जितने भी विधायक बने हैं, वो राजपूत बिरादरी से संबंध रखते हैं। पूर्व शिक्षा मंत्री राधा रमण शास़्त्री एक अपवाद रहे हैं। मगर वह भी जातिवाद की राजनीति से पार नहीं पा सके। उन्हें मतदाताओं ने सिर्फ दो बार इस क्षेत्र से जीतने का मौका दिया। कुपवी बेल्ट इस क्षेत्र में सबसे दुर्गम इलाका है। यहीं के वोटर हार-जीत तय करते हैं। इस क्षेत्र का विकास अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा कम हुआ है। सड़कों की दिक्कत काफी रही है। बाकी नेरवा, झिकनीपुल, गुम्मा व चौपाल बैल्ट अब काफी विकसित हो चुके हैं। निर्वाचन क्षेत्र में मुस्लिम मतदाता भी हार-जीत का निर्णय करने में सक्षम है। हालांकि, राजनीतिक रूप से यह समुदाय ज्यादा सक्रिय नहीं है।
राजनीतिक इतिहास...
1972 में कांग्रेस के दिवंगत केवल राम चौहान विधायक बने थे। केवल राम चौहान स्वर्गीय पूर्व मुख्यमंत्री ठाकुर रामलाल के खासमखास थे। 1977 में जनता पार्टी के राधा रमण शास्त्री यहां से विधायक चुने गए। 1982 में दोबारा कांग्रेस के केवल राम चौहान ने चुनाव जीता। 1983 में रामलाल ठाकुर को मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद नए बने मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह ने केवल राम चौहान को डाउन साइज करना शुरू कर दिया।
1985 के चुनाव में केवल राम चौहान को टिकट नहीं मिला। यहां से जुब्बल के राजा योगेंद्र चंद को टिकट दिया गया और वो चुनाव जीत भी गए। 1990 में भाजपा लहर में राधा रमण शास्त्री यहां से चुनाव जीतने में सफल रहे। इस हलके को पहली व अंतिम दफा कैबिनेट मंत्री का पद हासिल हुआ। शांता कुमार की सरकार में राधा रमण शास्त्री प्रदेश के शिक्षा मंत्री रहे।
1993 व 1998 में योगेंद्र चंद लगातार दो बार कांग्रेस के टिकट पर यहां से विधायक बने। 2003 का वो दौर भी आया, जब पहली दफा लोगों ने पार्टी लाइन से ऊपर उठकर एक निर्दलीय युवा सुभाष मंगलेट को चौपाल का विधायक निर्वाचित किया। वो कांग्रेस में चले गए। 2007 में दोबारा चुनाव जीतने में सफल हुए। 2012 में लोगों ने फिर भाजपा-कांग्रेस को नकारते हुए निर्दलीय बलबीर सिंह वर्मा को चुनाव जिताया। बलबीर बाद में 2017 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े और जीतने में सफल रहे।
उम्मीदवारों की संपत्ति
हिमाचल प्रदेश के शिमला जिला के चौपाल विधानसभा क्षेत्र से मौजूदा विधायक बलवीर सिंह वर्मा एक बार फिर भाजपा की टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। बलबीर सिंह वर्मा अकूट संपत्ति के मालिक हैं। उनकी गिनती सूबे के सबसे अमीर विधायकों में होती है। बलवीर सिंह बर्मा के शपत्र पत्र के मुताबिक वह 190 करोड़ की संपत्ति के मालिक हैं।
52 वर्षीय बलवीर सिंह वर्मा ने अपने नामांकन पत्र के साथ लगाए गए हल्फनामे में अपनी कुल चल एवं अचल संपत्ति करीब 190 करोड़ रुपये बताई है। उनकी चल संपत्ति 4.30 करोड़ और अचल संपति 186 करोड़ के करीब है। बलबीर सिंह वर्मा पेशे से बिल्डर हैं।
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इसके अलावा उनका आय का जरिया बागवानी, होटल, पेट्रोल पंप व कई व्यावसायिक भवन हैं। इनके पास कई लग्जरी गाड़ियां हैं। हल्फनामे के मुताबिक बलवीर सिंह वर्मा करीब 2.20 करोड़ का जीएसटी, संपत्ति व अन्य भरते हैं। उन्होंने वर्ष 2021-22 में 7 करोड़ से ज्यादा का आयकर भरा है। बलवीर सिंह वर्मा पर 47 करोड़ की देनदारियां भी हैं।
चौपाल सीट से पहली बार चुनाव मैदान में उतरे कांग्रेस प्रत्याशी रजनीश किमटा भी करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं। उनके परिवार की चल एवं अचल संपत्ति 30.93 करोड़ है। इनमें रजनीश किमटा की संपत्ति 22.37 करोड़ है, जबकि उनकी पत्नी के नाम 8.56 करोड़ की चल-अचल संपत्ति है।
नामांकन के दौरान चुनाव आयोग को दिए हल्फनामे में रजनीश किमटा ने अपनी चल संपत्ति 37.89 लाख और पत्नी की चल संपत्ति 2.31 करोड़ दिखाई है। वहीं रजनीश की अचल संपत्ति 22 करोड़ और पत्नी की 6.25 करोड़ है। रजनीश किमटा पर 48 लाख की देनदारियां हैं। उनकी पत्नी पर 1.05 करोड़ की देनदारियां हैं। रजनीश किमटा ने वितीय वर्ष 2021-22 में लगभग 58 लाख का आयकर भरा है।
कांग्रेस के बागी सुभाष मगलेट इस बार निर्दलीय चुनाव में उतरे हैं। 50 वर्षीय सुभाष मंगलेट के परिवार की चल एवं अचल संपत्ति 12 करोड़ से अधिक है। उन्होंने नामांकन के दौरान चुनाव आयोग को दिए हल्फनामे में अपनी चल संपत्ति 45.90 लाख बताई है, जबकि उनकी पत्नी के नाम 71 लाख की चल संपत्ति है। सुभाष मंगलेट की अचल संपत्ति 10.39 करोड़ और पत्नी की अचल संपत्ति 53.13 लाख है। इस तरह उनकी व धर्मपत्नी की चल एवं अचल संपत्ति 12 करोड़ से ज्यादा बन रही है। सुभाष मंगलेट पर 15 लाख की देनदारियां भी हैं।
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आंकड़ों में चौपाल विधानसभा क्षेत्र…
1998 में कांग्रेस के योगेंद्र चंद यहां से 58.45 प्रतिशत मत लेकर विजयी रहे। दूसरे स्थान पर हिविकां से चुनाव लड़ने वाले केवल राम चौहान ने 20.75 प्रतिशत मत प्राप्त किए। राधा रमण शास्त्री को 19.33 प्रतिशत मतों के साथ तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा। फिर, 2003 में निर्दलीय सुभाष मंगलेट 28.01 प्रतिशत मत लेकर पहले स्थान पर रहे। कांग्रेस के योगेंद्र चंद 21.46 प्रतिशत मतों के साथ दूसरे स्थान व भाजपा के संजय शास्त्री 17.81 मतों के साथ तीसरे स्थान पर रहे।
वर्ष 2007 में सुभाष मंगलेट व राधा रमण शास्त्री के बीच सीधा मुकाबला हुआ, जिसमें मंगलेट ने करीब चार हजार मतों से शास्त्री को पराजित किया। 2012 में फिर निर्दलीय बलबीर वर्मा को लोगों ने विधानसभा पहुंचाया। उन्हें 44.36 प्रतिशत मत मिले। वहीं, सुभाष मंगलेट कांग्रेस के टिकट पर थोड़े से मतों के अंतर से 43.06 प्रतिशत मत हासिल कर नजदीकी मुकाबले में पराजित हो गए। 2017 में बलबीर सिंह वर्मा ने भाजपा के टिकट पर करीब 29,537 मत हासिल कर कांग्रेस के सुभाष मंगलेट को हराया। वर्मा को 52.96 व सुभाष को 44.73 प्रतिशत वोट मिले।
मंगलेट बिगाड़ेंगे रजनीश का खेल…
चौपाल में अधिकतर निर्दलीय उम्मीदवार कई बार कांग्रेस व भाजपा पर भारी पड़ते रहे हैं। मगर इस दफा निर्दलीय सुभाष मंगलेट को जीत का सेहरा पहनने में खासी मेहनत करनी पड़ रही है।
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वहीं, कांग्रेस उम्मीदवार रजनीश किमटा को मंगलेट की वजह से कुपवी क्षेत्र में भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। सुभाष मंगलेट का ताल्लुक कुपवी से है। कांग्रेस ने बगावत करने पर पूर्व विधायक सुभाष मंगलेट को निष्कासित भी कर दिया है।
उधर, भाजपा के उम्मीदवार बलबीर वर्मा ने जहां पांच साल में भाजपा सरकार के रहते हुए विकास करवाने के भरसक प्रयास किए हैं, वहीं उनकी शांत व सौम्य स्वभाव वाली छवि भी उनके पक्ष में जाती है। रजनीश किमटा को युवाओं का समर्थन हासिल है। वो युवाओं में काफी लोकप्रिय भी हैं, मगर पुराने कांग्रेसी वर्कर उन्हें अभी सही ढंग से पचा नहीं पा रहे हैं।
कांग्रेस ने नहीं खेला पुराने खिलाड़ी पर दांव….
उत्तराखंड की सीमा से सटे निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस ने पुराने खिलाड़ी सुभाष चंद मंगलेट पर दांव नहीं खेलने का साहस जुटाया। इसका नतीजा बगावत में बदल गया। जबकि भाजपा ने पुराने खिलाड़ी बलबीर सिंह वर्मा को ही मैदान में उतार दिया। देखना ये भी है कि क्या कांग्रेस के नए खिलाड़ी रजनीश किमटा इस चुनाव में भाजपा के बलबीर सिंह वर्मा का विजय रथ रोक पाएंगे या नहीं, अन्यथा बलबीर सिंह वर्मा की हैट्रिक होगी।
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आम आदमी ने भी उतारा है प्रत्याशी…
आम आदमी पार्टी ने निर्वाचन क्षेत्र से उदय सिंगटा को मैदान में उतारा है। बहुजन समाज पार्टी के भगत लाल मैदान में हैं। सबला राम व अशोक शर्मा ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर पर्चे भरे थे।
मुद्दे…
चौपाल विधानसभा क्षेत्र में विकास एक बड़ा मुद्दा रहता है। हालांकि, सेब की बागवानी की वजह से लोगों की आर्थिक स्थिति अच्छी है। हलके में सड़क दुर्घटनाओं में हर साल बड़ी संख्या में लोगों की जान चली जाती है। वैसे तो कुपवी इलाके के लिए सड़क का निर्माण कर दिया गया, लेकिन ये क्षेत्र ऐसा है, जिसकी निर्भरता मौजूदा में भी सिरमौर के हरिपुरधार पर है।
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बता दें कि पहले कुपवी क्षेत्र के लोग शिमला जाने के लिए सिरमौर के हरिपुरधार से होते हुए सोलन पहुंचा करते थे। सड़कों की स्थिति भी संतोषजनक नहीं कही जा सकती। सेब सीजन के दौरान खस्ताहाल सड़कें बड़ी परेशानी का सबब बनती हैं।
मतदाताओं का आंकड़ा…
चौपाल विधानसभा क्षेत्र में कुल 78,586 मतदाता हैं। महिलाओं की संख्या 37,947 है, जबकि पुरुष मतदाता 40,639 हैं।