शिमला, 31 अक्तूबर : हिमाचल प्रदेश कांग्रेस (Congress) के कार्यकारी अध्यक्ष विनय कुमार के निर्वाचन क्षेत्र श्री रेणुका जी में मुकाबला कांटे का है। हालांकि जंग आमने-सामने की है, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि भाजपा (BJP) ने सियासत की बिसात पर दो दांव खेले हैं।
पहला यह कि कांग्रेस विधायक विनय कुमार (Congress MLA Vinay Kumar) के मामा के बेटे को प्रत्याशी बनाया है, दूसरा ये कि ही लोअर बेल्ट से उम्मीदवार को चुना है। इस निर्वाचन क्षेत्र में जातीय समीकरणों की बजाय क्षेत्र वाद का मुद्दा हावी रहता है। हलके में निचली बेल्ट के प्रत्याशी को ही सफलता का स्वाद मिलता आया है। हालांकि एक उप चुनाव मे महल क्षेत्र के हिरदा राम ने भाजपा के टिकट पर चुनाव जीता था, इस जंग में विनय कुमार पहली बार राजनीति के खिलाड़ी बने थे। पिता दिवंगत डॉ. प्रेम सिंह के निधन के बाद उपचुनाव हुआ था। तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की पसंद से एचएएस अधिकारी हिरदा राम को टिकट दिया गया था।
श्री रेणुका जी में भाजपा की दिक्कत यह रही है कि निचले इलाके में मजबूती नहीं मिल सकी। लिहाजा इस बार भाजपा ने एक तीर से दो निशाने खेलने की कोशिश की है। पहला यह कि निचले इलाके से ही प्रत्याशी बनाया जाए दूसरा यह कि कांग्रेस के कार्यकारी के अध्यक्ष के घर से ही कैंडिडेट बना दिया गया है।
तीन हिस्सों में निर्वाचन क्षेत्र… श्री रेणुका जी विधानसभा क्षेत्र तीन क्षेत्रों में बंटा हुआ है। लोअर बैल्ट के अलावा नौहराधार व महल क्षेत्रों की 24 पंचायतें हैं। हालांकि ऊपरी बैल्ट से भाजपा को बढ़त मिलती रही है, लेकिन बाजी निचली बैल्ट के हाथ ही लगती रही है। भाजपा द्वारा जिला परिषद के अध्यक्ष पद पर महल क्षेत्र की सीमा कन्याल को हॉट सीट पर बिठाया गया था। देखना यह होगा कि महल क्षेत्र की 8 पंचायतों से जिला परिषद की अध्यक्ष जादुई करिश्मा कर पाती है या नहीं।
इन भाजपा नेताओं की भूमिका पर नजरें… 1990 में जनता दल के टिकट पर चुनाव जीतने वाले रूप सिंह भी अरसे से निर्वाचन क्षेत्र में सक्रिय रहे है। इस बार के चुनाव में भी टिकट के फ्रंट रनर थे। पूर्व विधायक के साथ यह प्लस प्वाइंट था कि वो भी लोअर बैल्ट से ही आते हैं। चुनाव में पूर्व विधायक रूप सिंह की भूमिका पर भी नजरें रहेंगी।
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उधर टिकट कटने के बाद पूर्व प्रत्याशी बलवीर चौहान का क्या रुख रहेगा, यह भी देखने वाली बात होगी। हालांकि टिकट कटने के बाद तुरंत ही बलवीर चौहान ने बगावत के संकेत नहीं दिए थे, लेकिन बताते हैं कि चौहान की बगावत की आशंका को लेकर पार्टी ने उन्हें हिमाचल से दूर रखने का फैसला लिया, साथ ही गुजरात के चुनाव में ड्यूटी लगा दी गई। इसी बीच पूर्व विधायक रूप सिंह व पूर्व प्रत्याशी बलबीर सिंह चौहान के पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के चुनाव प्रचार में डटने के वीडियो भी सामने आ गए। बावजूद इसके संशय बने हुए हैं।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष के खिलाफ मजबूत जमीन तैयार की है, लेकिन मौजूदा कांग्रेस विधायक भी राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी बन चुके है। कांग्रेस प्रत्याशी ने पिता के निधन के बाद हॉली लॉज से दूरियां नहीं बनाई।
दिवंगत मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने पहला चुनाव जीतते ही विनय कुमार को लोक निर्माण विभाग का सीपीएस (CPS) बनाकर राज्यमंत्री का अपरोक्ष रुतबा दे दिया था, क्योंकि निष्ठावान होने के बावजूद वीरभद्र सिंह उनके पिता डॉ. प्रेम सिंह को मंत्री नहीं बना पाए थे। पार्टी अध्यक्ष बनते ही प्रतिभा सिंह ने विनय कुमार को कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया।
मतों का लेखा-जोखा….
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित श्री रेणुका जी विधानसभा क्षेत्र में 10 अक्तूबर तक 73,600 मतदाता पंजीकृत हुए हैं। सर्विस मतदाताओं की संख्या 605 है। 124 में से 12 मतदान केंद्रों को संवेदनशील व 3 को अति संवेदनशील कैटेगरी में रखा गया है। 62 मतदान केंद्रों का मतदान के दौरान सीधा प्रसारण भी किया जाएगा। 496 कर्मचारी डयूटी पर होंगे। 3,582 मतदाता पहली बार मत का इस्तेमाल करेंगे। निर्वाचन क्षेत्र में 20 से 29 साल के 18,549 मतदाता हैं। वहीं, 30 से 39 साल के बीच 18,171 मतदाता हैं। साफ जाहिर होता है कि 18 से 39 साल तक के मतदाताओं के हाथ में प्रत्याशियों के भाग्य की चाबी होगी।
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चल व अचल संपत्ति
रेणुका से भाजपा की टिकट पर किस्मत आजमा रहे 56 वर्षीय नारायण सिंह भी करोड़पतियों की फेहरिस्त में शामिल हैं। उनके परिवार की चल एवं अचल संपति 1.80 करोड़ है। खास बात यह है कि धर्मपत्नी की चल संपति नारायण सिंह से साढ़े तीन गुणा ज्यादा है। नामांकन के दौरान चुनाव आयोग को दिए हलफनामे में नारायण सिंह ने अपने परिवार की कुल संपति 1.80 करोड़ दर्शाई है। इसमें चल संपति 55 लाख और अचल संपति 1.25 करोड़ है।
हलफनामे के मुताबिक नारायण सिंह के पास 12.03 लाख की चल संपति है। जबकि उनकी पत्नी के पास 42 लाख की चल संपति है। नारायण सिंह के तीन बच्चों के नाम क्रमशः 11 हज़ार, 10 हज़ार और एक लाख हैं। नारायण सिंह की 1.25 करोड़ की अचल संपति में एग्रीकल्चर लैंड के अलावा कमर्शियल व रेजिडेंशियल बिल्डिंगस हैं। उन्होंने 31.46 लाख का हाउसिंग लोन भी उठाया है।
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रेणुका से मौजूदा विधायक व कांग्रेस प्रत्याशी विनय कुमार 8 करोड़ से अधिक संपत्ति के मालिक हैं। उनके परिवार की चल एवं अचल संपत्ति 8.13 करोड़ है। चुनावी हलफनामे पर नजर डालें तो विनय कुमार की चल संपत्ति 2.07 करोड़ और अचल संपत्ति 6.06 करोड़ है। खास बात यह है कि उन्होंने 92 लाख 83 हज़ार का लोन भी लिया है। संगड़ाह के दो बैंकों से 10 लाख, ददाहू के एक बैंक से 60 लाख और हिमाचल विधानसभा से 22.83 लाख का लोन लिया गया है।
हलफनामे के मुताबिक विनय कुमार के पास 1.39 करोड़ की चल संपत्ति है, जबकि उनकी पत्नी सहित परिवार के नाम 67 लाख की चल संपत्ति है। इसके अलावा उनके पास 5.48 करोड़ की अचल संपत्ति है। जबकि उनके परिवार की अचल संपत्ति करीब 58 लाख है।
मुद्दे….
ये विधानसभा क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि से लाजवाब है, लेकिन विडंबना ये है कि टूरिज्म के दोहन के लिए महज कागजों में ही प्लान बनते रहे, धरातल पर उतारने की गंभीर कोशिश नहीं हुई। मां भंगयाणी मंदिर में उत्तर भारत से श्रद्धालु पहुंचते हैं, लेकिन नाहन से हरिपुरधार तक सड़क का विस्तारीकरण नहीं हुआ।
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सैनधार का इलाका सब्जियों व फलों के उत्पादन के लिए बेहद उपजाऊ है। इसकी वजह, कुदरत का तोहफा है, क्योंकि हर खेत माकूल सिंचाई व्यवस्था से जुड़ा है। इस इलाके के उत्पादन के उचित विपणन की व्यवस्था नहीं है। धारटीधार की पंचायतें सूखी हैं।
नौहराधार व महल क्षेत्र के इलाके कुदरत की खूबसूरती को दामन में समेटे हैं। बर्फबारी के दौरान ये इलाका कश्मीर से कम नहीं है। जरूरत है तो इस इलाके के पर्यटन को विकसित करने की।
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तीसरा विकल्प….
तीसरे विकल्प के तौर पर राष्ट्रीय देवभूमि पार्टी ने भी प्रत्याशी को मैदान में उतारा है। चूंकि नौहराधार क्षेत्र में पार्टी ने खासे कार्यक्रम किए हैं, लिहाजा पार्टी प्रत्याशी को भी नहीं नकारा जा सकता। देखना होगा कि पार्टी प्रत्याशी द्वारा कांग्रेस व भाजपा में किसके अंकगणित को बिगाड़ा जाता है। वहीं आम आदमी पार्टी ने भी यहां से एक रिटायर्ड सेना के अधिकारी को चुनावी मैदान में उतारा है।