शिमला (एमबीएम न्यूज): प्रदेश में अफसरशाही के सर्वोच्च पद पर वीसी फारका की ताजपोशी से अफसरशाही ने बगावत के संकेत दे दिए हैं। इसकी सीधी वजह, वरिष्ठता की अनदेखी मानी जा रही है। हालांकि सीधे तौर पर पुष्टि नहीं हो रही हैं, लेकिन बताया जा रहा है कि मुख्य सचिव पद पर वरिष्ठता की अनदेखी को लेकर 1982 बैच के आईएएस अधिकारी विनीत चौधरी व 1983 बैच की उपमा चौधरी शॉट लीव पर चले गए हैं। अन्य वरिष्ठ आईएएस दीपक सांनन पहले ही छुट्टी पर हैं।
सीधे-सीधे कहा जा रहा है कि एक साल जूनियर वीसी फारका को अफसरशाही का सर्वोच्च पद महज इस कारण दिया गया है, क्योंकि फारका की मुख्यमंत्री से करीबियां है। वरिष्ठ आईएएस अधिकारी विनीत चौधरी को दबंग अधिकारी माना जाता है। ताजपोशी के बाद बगावत का सामना कर रहे नवनियुक्त मुख्य सचिव वीसी फारका ने बतौर आईएएस अधिकारी अपना कैरियर 13 अक्तूबर 1983 को रोहडृू में बतौर एसडीएम शुरू किया था। उधर मंगलवार को इस पद से सेवानिवृत हुए पी मित्रा को सरकार ने अधिसूचना जारी कर राज्य निर्वाचन आयुक्त के पद पर तैनात कर दिया है।
उधर टीजी नेगी को मुख्यमंत्री का प्रधान निजी सचिव बनाए जाने पर भी सवाल उठ रहे हैं। सवाल इस बात पर है कि संवैधानिक पद से अधिकारी को सीधे ही सचिवालय कैसे लाया गया? संभावना यह भी है कि सरकार आईएएस अधिकारियों में बढ़ते असंतोष को लेकर जल्द ही ठोस कदम उठा सकती है। सनद रहे कि वरिष्ठता के आधार पर मुख्य सचिव पद के एक अन्य दावेदार अजय मित्तल हाल ही में केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर चले गए हैं। मित्तल को भाजपा से जोडक़र देखा जाता रहा है। लिहाजा संभव है कि मित्तल पहले से ही इस बात को लेकर आश्वास्त थे कि उन्हें मुख्य सचिव की कुर्सी नहीं मिल सकती। लिहाजा केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर जाना ही उन्होंने मुनासिब समझा।