नाहन, 19 अक्तूबर : आखिर में सूबे के पावर मंत्री सुखराम चौधरी भाजपा का टिकट लेने में सफल हो गए हैं। लेकिन, चौधरी के खिलाफ बगावती सुर जस के तस हैं। हिमाचल में उत्तराखंड की सीमा पर स्थित पांवटा साहिब निर्वाचन क्षेत्र कई मायनों में अहम है।
पहले, भाजपा यहां कांग्रेस के गुटों का सियासी लाभ लेती आई है, लेकिन इस बार तो भाजपा के शीर्ष नेता सुखराम चौधरी को एक समय में अपने करीबी रहे स्थानीय नेताओं की ही नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल, इस समय चौधरी को अपनी ही पार्टी में डैमेज कंट्रोल करने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
चौधरी के सामने इस समय मदन शर्मा, मनीष तोमर व रोशन लाल शास्त्री के बगावती सुर हैं। आंजभोंज क्षेत्र की 11 पंचायतों का प्रतिनिधित्व मनीष तोमर कर रहे हैं तो रोशन लाल शास्त्री भी चोधरी की तरह बाहती बिरादरी से ताल्लुक रखते हैं।
संभावना ये भी जताई जा रही है कि मनीष तोमर व रोशन लाल शास्त्री नामांकन पत्र दाखिल कर सकते हैं। टारगेट यही होगा कि सुखराम चौधरी को हार का स्वाद चखाया जाए। करीब 15 साल पहले निर्वाचन क्षेत्र की भाजपा का एक अलग चेहरा हुआ करता था, लेकिन इस समय तमाम पुराने चेहरे चौधरीसे छिटक चुके हैं। सुखराम चौधरी को बार-बार जीत का सेहरा पहनाने वाले कई स्थानीय नेता राजनीतिक परिदृश्य से ही गायब हो चुके हैं।
उधर, एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में मदन मोहन शर्मा ने माना कि वीरवार को उनके कार्यालय में समर्थकों की बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में जो भी निर्णय होगा, उसी के तहत आगे की रणनीति तय की जाएगी।
शर्मा से सवाल पूछा गया….यदि आपको भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष फोन करते हैं तो क्या करेंगे, इसके जवाब में सुखराम
चौधरी से रुष्ट मदन मोहन शर्मा ने कहा कि वो इस समय पार्टी के किसी भी पद पर नहीं हैं, यह सही है कि विचारधारा से अरसे से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि कई ऐसे कारण हैं, जिस वजह से ये नौबत आई है।