शिमला ,12 अक्तूबर : कांगड़ा जिले की पालमपुर विस सीट पर बुटेल परिवार का लम्बे समय से दबदबा रहा है। हालांकि पूर्व सीएम शांता कुमार का सम्बन्ध भी पालमपुर से है। मगर वो पालमपुर से सिर्फ एक बार 1990 में चुनाव लडे और विजयी हुए।
शांता ने 1977 से सुलह विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ते रहे है। 2017 के चुनावों में पालमपुर से शांता कुमार के शिष्य प्रवीण कुमार का टिकट काट कर महिला भाजपा नेत्री इंदु गोस्वामी को मैदान में उतारा गया। लेकिन प्रवीण शर्मा के निर्दलीय लड़ने से इंदु को कांग्रेस के आशीष बुटेल से हार का मुंह देखना पड़ा। इस बार इंदु राज्यसभा में पहुंच चुकी है। शायद वह इस दफा चुनाव नहीं लड़ेगी। इसलिए यहां प्रवीण शर्मा के अलावा कई युवा भाजपा नेता टिकट की दौड़ में है। वहीं कांग्रेस में विधायक आशीष बुटेल का टिकट पक्का हो चुका है। वह चुनाव प्रचार में डटे हुए है।
पालमपुर विस क्षेत्र में बुटेल परिवार की तीन पीढ़ियां इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुकी है। कबीले जिक्र है कि सबसे पहले 1967 व 1972 में पालमपुर से स्वर्गीय कुंज बिहारी लाल बुटेल कांग्रेस के टिकट पर विधायक रहे।1977 में कांग्रेस विरोधी लहर के चलते यहां से चौधरी बिरादरी के दिग्गज नेता स्वर्गीय श्रवण कुमार ने जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीता। 1982 में श्रवण कुमार फिर विजयी हुए।
1985 में बृज बिहारी लाल बुटेल कांग्रेस के टिकट पर पहली दफा जीते। उसके बाद वह 1993,1998, 2003 व 2012 में पालमपुर से विधायक बनते रहे। इस बीच 1990 में शांता कुमार व 2007 में प्रवीण शर्मा के अलावा यहां भाजपा को हर के सिवा कुछ हाथ नहीं लगा। 2017 में बुटेल परिवार के तीसरी पीढ़ी से आशीष कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा पहुंचे। यहां भाजपा हमेशा आपसी फूट का शिकार रही है। देखना है कि इस दफा बुटेल परिवार फिर से कांग्रेस की झोली में इस सीट को डाल पाती है या भाजपा कोई चमत्कार कर पालमपुर पर भगवा लहरा सकती है।