संगड़ाह, 03 अक्तूबर : उपमंडल संगड़ाह के क्यारा-जरग में फ्रूट प्रोसेसिंग व एसेंशियल ऑयल यूनिट चलाने वाले दुर्गा किसान क्लब के अध्यक्ष महिमा नंद शर्मा के आकस्मिक निधन से क्षेत्र में शोक की लहर है। परिजनों के अनुसार 2 दिन पहले उनके पेट में तेज दर्द उठा तो उन्हें चंडीगढ़ के एक अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां उनका देहान्त हो गया।
विकासखंड संगड़ाह के माईना गांव के 44 वर्षीय महिमानंद अपने युनिट में हर साल लाखों के फल, सब्जी व जड़ी-बूटियों के जूस, पाउडर, जैम व जैल जैसे प्रोडक्ट तैयार करते थे। क्षेत्र की इस पहली फूड प्रोसेसिंग के ज्यादातर उत्पाद ददाहू, रेणुका जी, संगड़ाह, नाहन, सोलन व शिमला के स्थानों पर बिकते थे। मेलों के दौरान प्रर्दशनी लगाकर किसान क्लब की ज्यादातर बिक्री होती थी।
वर्ष 2012 में जरग-क्यारटा में इस फ्रूट एवं हर्बल प्रोसेसिंग इकाई द्वारा शुरुआत में सालाना करीब 70 हजार रुपए का कारोबार किया जा रहा था, जो बाद में बढ़कर 3 लाख तक पहुंच गया था। NABARB, राष्ट्रीय बागवानी मिशन व मिड हिमालयन आदि परियोजनाओं के तहत जारी करीब 8 लाख की सहायता राशि से उन्होंने क्षेत्र में औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देने व किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार के सफल प्रयास किए।
इस युनिट में इस्तेमाल होने वाले किसानों के सभी उत्पादों को लेकर एक खास बात थी कि इन्हे बंदर नहीं खाते। बंदरों के आतंक से प्रभावित खेतों व जंगल के साथ वाली जमीन पर भी यहां इस्तेमाल होने वाली फसलें और जड़ी-बूटियां उगाई जा सकती है। क्षेत्र के किसानों द्वारा स्थापित जिला सिरमौर का अपनी तरह का यह पहला कोऑपरेटिव सेक्टर का यूनिट कुछ अरसा नाबार्ड, अरावली एनजीओ व दुर्गा किसान क्लब द्वारा किसानों को प्रशिक्षण व डेमोंस्ट्रेशन देने के लिए भी इस्तेमाल किया गया।
स्थानीय किसानों के मुताबिक यहां लगातार एलोवेरा, लेमन ग्रास, करेला व क्षेत्र में पाए जाने वाले विभिन्न फलों व औषधीय पौधों के जूस जेल, जैम, हैंडवाश तथा शैंपू जैसे हर्बल उत्पाद तैयार किए जा रहे थे। इस यूनिट पर जारी सरकारी सब्सिडी राशि के अलावा महिमा नंद ने अपनी सारी गाढ़ी कमाई व जमा पूंजी भी खर्च कर दी थी।
बता दें कि दुर्गा किसान क्लब के संचालक एवं अवतरण महिमानंद शर्मा ने बीए के बाद नौकरी को तवज्जो देने की बजाय अपने इस दूरदराज इलाके के किसानों की बेहतरी व कृषि आधारित लघु उद्योग लगाने में सारी जिंदगी खपा दी। उनके निधन से क्षेत्र के किसानों में मायूसी है।
वहीं इस प्रोसेसिंग यूनिट में लगातार काम करने व मार्किंग को लगाकर अदरक, सौंप, एलोवेरा व करेला आदि कृषि उत्पाद व हरड़, बहेड़ा, गिलोय व अर्जुन छाल आदि जड़ी-बूटियों को बतौर कच्चा माल उपलब्ध करवाने से करीब सौ किसानों व बेरोजगारों को आमदनी हो रही है।