शिमला, 02 अक्तूबर : ऊना सदर सीट हिमाचल की काफी चर्चित व हॉट सीट है। सियासी हल्कों में इस सीट पर सबकी नजरें लगी रहती है। यहां इस दफा दोबारा पुराने सियासी प्रतिद्वंदी कांग्रेसी विधायक सतपाल रायजादा व भाजपा के दिग्गज नेता सतपाल सत्ती के बीच जबरदस्त मुकाबले के आसार है। दोनों नेता काफी तल्ख तेवरों के साथ चुनाव मैदान में उतरेंगे। इस सीट पर पंजाब के रहन-सहन का काफी असर है। यहां चुनाव भी पंजाब की तर्ज पर लड़ा जाता है। बाहुबल के साथ-साथ धन व सामाजिक रिश्तों के ताने बाने में उलझे इस विस में दबाव की राजनीति जमकर होती है। जातिवाद का भी थोड़ा असर रहता है। हालांकि दोनों उम्मीदवार टिकट को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है।
चुनाव प्रचार में भी जुट गए है। दोनों राजपूत बिरादरी से सम्बन्ध रखते है। इन दोनों के चुनावी राजनीति में आने से पहले इस सीट पर ब्राह्मण समुदाय का दबदबा रहा है। वीरेंद्र गौतम यहां से दो दफा व ओपी रतन एक बार विधायक रहे है। इससे पहले देश राज भाजपा की और से ओबीसी समुदाय की तीन बार नुमाइंदगी कर चुके है। वह भाजपा सरकार में मंत्री भी रहे। उनके बाद ऊना सदर से किसी भी नेता को मंत्री बनने का सौभाग्य नहीं मिला। पिछली बार सतपाल सत्ती के मंत्री बनने की पूरी उम्मीद थी मगर वह चुनाव हार गए।
सत्ती 2003 से 2012 तक लगातार तीन बार जीत की हैट्रिक लगा चुके है। वहीँ सतपाल रायजादा ने 2017 में सत्ती को हराकर बड़ा उलटफेर किया था। सत्ती को भाजपा ने हारने के बाद भी चेयरमैन के ओहदे से नवाजा। इस सीट पर हमीरपुर के सांसद अनुराग ठाकुर का भी काफी प्रभाव है। इस हल्के को पिछले 40 वर्षों से मंत्री पद नहीं मिल पाया। ऊना सदर के मतदाताओं में इस बात को लेकर काफी दुख है। इस बार देखना है कि क्या इस हल्के के लोगो का लंबे सूखे के बाद मंत्री पद की हसरत का इंतजार पूरा हो पाता है या नहीं।