शिमला, 03 अक्टूबर : मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिला मंडी की सदर सीट पर इस बार फिर से दो पुराने प्रतिद्वंद्वियों के बीच चुनावी जंग होगी। परम्परागत रूप से स्वर्गीय पंडित सुखराम के परिवार का इस सीट पर दबदबा रहा है। 1990 को छोड़ दें तो इस सीट पर आरम्भ से अंत तक सुखराम परिवार ने एक छत्र राज किया है। 1990 में कन्हैया लाल भाजपा की टिकट पर यहां से जीते थे। अब चूंकि अनिल शर्मा बैकफुट पर आकर अपने राजनीतिक भविष्य के मध्यनजर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के सामने सरेंडर कर चुके है। अब वो भाजपा के टिकट पर या तो खुद मैदान में उतरेंगे या फिर पुत्र आश्रय को मैदान में उतारेंगे। ये अलग बात है कि आश्रय शर्मा ने अधिकारिक तौर पर भाजपा ज्वाइन नहीं की है।
वहीं कांग्रेस कौल सिंह ठाकुर की पुत्री चंपा ठाकुर को टिकट देने का मन लगभग बना चुकी है। चंपा ठाकुर 2017 के चुनावों में अनिल शर्मा का मुकाबला कर चुकी है। हालांकि उस समय अनिल शर्मा ने उन्हें करीब 10 हजार मतों से हरा दिया था। मगर इस मर्तबा अनिल शर्मा को चंपा ठाकुर कड़ी टक्कर देने की स्थिति में है। चंपा ठाकुर इससे पहले मंडी जिला परिषद् की चेयरमैन भी रह चुकी है। महिला नेत्री होने के चलते कांग्रेस में उनका टिकट लगभग पक्का हो चुका है। वो कई दिन से अंदर खाते चुनाव प्रचार में भी डटी है। 2017 में भाजपा की लहर में भी वह 21 हजार 55 मत लेने में सफल रही।
वहीं, अनिल शर्मा को इस दफा बैठकों में लोगों के विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है। पेंडुलम की तरह झूलते अनिल शर्मा अपने राजनीतिक अस्तित्व की अंतिम लड़ाई में कहा तक सफल हो पाएंगे यह मंडी के मतदाताओं के हाथ में है। मगर कुल मिलाकर इस दफा मंडी सीट पर आमने-सामने की टक्कर में रोचक घमासान होने की उम्मीद है।