नाहन, 26 सितंबर : …अगर बडू साहिब गुरुद्वारा में अरदास न चल रही होती तो रविवार शाम मंजर भयावक हो सकता था।
कई बीघों में फैले कलगीधर ट्रस्ट (Kalgidhar Trust) की एटरनल यूनिवर्सिटी व अकाल अकादमी बडू साहिब (Eternal University and Akal Academy Baru Sahib) मुख्य प्रवेश द्वार के नजदीक ही हैं। इसी को तेज रफ्तार से बाढ के रूप में पानी छूकर निकला। रात भर मौके पर पहुंचने की जद्दोजहद करते रहे पच्छाद के एसडीएम डाॅ. संजय धीमान तड़के 3 बजे बडू साहिब पहुंचे।
वासनी के रूट पर आगे जेसीबी चल रही थी, पीछे एसडीएम के नेतृत्व में क्यूआरटी (QRT) के अलावा राजस्व अधिकारियों की टीम भी थी। मौके पर पहुंची टीम ने पाया कि कलगीधर ट्रस्ट को करोड़ों रुपए का नुकसान पहुंचा है। गनीमत ये रही कि बड़ा जानी नुकसान नहीं हुआ।
परिसर में हजारों टन मलबा जमा है। ट्रस्ट ने अपने संसाधनों से क्लीयरेंस का कार्य शुरू कर दिया है। राजगढ़ से बडू साहिब की कनेक्टिीविटी को बहाल होने में समय लग सकता है। सोमवार शाम तक बडू साहिब में बिजली व पानी की व्यवस्था पूरी तरह से बहाल नहीं हुई थी। प्रशासनिक टीम की भी दाद देनी पड़ेगी, जिसने खतरा मोल लेकर स्लाइडिंग जोन (Sliding Zone) में सफर करते मौके पर पहुंचने की ठानी हुई थी।
आपको बता दें कि रविवार रात से एसडीएम लगातार जाग रहे हैं। सोमवार शाम बडू साहिब से लौटते ही खड़काहं के लिए निकल पड़े। इसके लिए कई 5 से 8 किलोमीटर की दूरी पैदल भी तय की।
खैर, प्रशासन की जांच में भी ये सामने आया है कि हाॅस्टल की छात्राएं व स्टाफ इत्यादि गुरुद्वारा साहिब में अरदास के लिए मौजूद थे। कमरो में चुनिंदा लोग की थे। गुरुद्वारा साहिब कुछ ऊंचाई पर स्थित है। इसमें 6 से 8 हजार के बैठने की व्यवस्था है।
बडू साहिब में कलगीधर ट्रस्ट का विस्तारीकरण दशकों से चल रहा है। हैलीपैड, अस्पताल व मैट्रो की तर्ज पर इमारतें हैं। एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में पच्छाद के एसडीएम डाॅ. संजीव धीमान ने कहा कि तड़के तीन बजे मौके पर पहुंचे।
इस दौरान पाया कि परिसर की मुख्य सड़क पर चारों तरफं बोल्डर व मलबा मौजूद है। पानी की रफ्तार इतनी तेज थी कि भवनों में भी घुसा, इस कारण ट्रस्ट को नुकसान पहुंचा है।
एक सवाल के जवाब में एसडीएम ने ये भी कहा कि नुकसान का आकलन ट्रस्ट द्वारा अपने स्तर पर किया जा रहा है। एसडीएम ने कहा कि फिलहाल वासनी होकर बडू साहिब तक पहुंचा जा सकता है। राजगढ़-बडू साहिब मुख्य मार्ग पर पुल के टूटने की वजह से बडू साहिब नहीं पहुंचा जा सकता। उन्होंने कहा कि बागथन रोड़ को भी बहाल किया जा रहा है।
एसडीएम ने ये भी माना कि गुरुद्वारा में अरदास की वजह से तमाम लोग वहीं मौजूद थे। अगर सड़कों पर छात्र या अन्य लोग मौजूद होते तो जानी नुकसान काफी हो सकता था।
ये है तपोस्थली…
बडू साहिब एक तपोस्थली के रूप में भी पहचान रखता है। संत अतर सिंह जी ने 20वीं शताब्दी की शुरूआत में हिमालय में एक ऐसी जगह की कल्पना की थी, जो आध्यात्मिक व आधुनिक विज्ञान की शिक्षा से मेल खाती हो। संत अतर सिंह ने ही इस जगह की परिकल्पना की थी। 1959 में संत तेजा सिंह जी (Sant Te ja Singh) ने मिट्टी की कुटिया में अखंड पाठ किया था।
1956 में संत तेजा सिंह के शिष्य बाबा इकबाल सिंह (Baba Iqbal Singh)व बाबा खेम सिंह ने बडू साहिब को विकसित करना शुरू किया था। कलगीधर ट्रस्ट की पहली अकाल अकादमी बडू साहिब में शुरू हुई, जिसका नेटवर्क पंजाब के चप्पे-चप्पे में है।
चंद महीने पहले बाबा इकबाल सिंह को निधन से मात्र तीन दिन पहले ही पदमश्री की घोषणा हुई थी। इस समय कलगीधर ट्रस्ट की बागडोर डाॅ. देवेंद्र सिंह के हाथ में है।