शिमला, 21 सितंबर : हिमाचल कांग्रेस कमेटी के विधि विभाग के चेयरमैन एडवोकेट आईएन मैहता ने लोकसेवा आयोग के चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्यों को लेकर जयराम सरकार की घेराबंदी की है। आईएन मैहता ने बुधवार को प्रेस वार्ता में कहा कि सरकार ने लोक सेवा आयोग के चैयरमैन और सदस्यों की नियुक्तियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइंस का सीधा उल्लंघन किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी 2013 को स्टेट ऑफ पंजाब वर्सेज सलील सब्लोक केस में लोक सेवा आयोग में नियुक्तियों से संबंधित गाइडलाइंस जारी की थी। इसमें साफ किया गया था कि संविधान के आर्टिकल 316 के तहत किस तरह से चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्तियां होनी चाहिए। लेकिन जयराम सरकार इन गाइडलाइंस को दरकिनार किया।
उन्होंने कहा कि सरकार ने लोक सेवा आयोग चेयरमैन और तीन सदस्यों की रात के अंधेरे में नियुक्तियों से संबंधित पहले एक अधिसूचना कर डाली। जिसका शपथ कार्यक्रम भी सुबह के लिए तय किया गया। इसके बाद आधी रात को शपथ ग्रहण कार्यक्रम रद्द किया गया। सरकार को बाद में ये नियुक्तियां रद्द करनी पड़ी। इसके बाद सरकार ने चैयरमैन और सदस्यों की नियुक्तयों को लेकर नई अधिसूचना जारी की। मैहता ने सरकार से सवाल किया कि चैयरमैन और सदस्यों की नियुक्तयों के लिए कितने आवेदन आए थे और इसके लिए क्या प्रक्रिया अपनाई गई।
उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसी क्या जरूरत पड़ी कि लोकसेवा आयोग में नियुक्तियां आनन-फानन में करनी पड़ी। उन्होंने कहा कि लोकसेवा आयोग एक संवैधानिक संस्था है जो कि एचएसएस, एसपीएस, डॉक्टर्स, इंजीनियर्स जैसे क्लास वन अधिकारियों की नियुक्तियां करता है। ऐसे संस्थान के चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्तियां आनन फानन में करना प्रदेश के पढ़े लिखे बेरोजगार युवाओं के साथ भद्दा मजाक है। जिसका सरकार को स्पष्टीकरण देना चाहिए।