रोनहाट, 19 सितंबर : वर्ल्ड बैंक द्वारा वित्तपोषित 1356 करोड़ की लागत से नेशनल ग्रीन कॉरिडोर के तहत बन रहे राष्ट्रीय राजमार्ग-707 का निरीक्षण करने पहुंची वर्ल्ड बैंक की टीम आधे रास्ते से ही वापिस लौट गई।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सोमवार को वर्ल्ड बैंक की टीम द्वारा एनएच 707 के पांचों पैकेज का निरीक्षण किया जाना प्रस्तावित था। जिसके चलते रविवार देर रात को ही निरीक्षण से संबंधित अधिकांश गतिविधियों जैसे सड़क पर धूल उड़ने से रोकने के लिए टैंकर से पानी का छिड़काव करना, सुरक्षा के लिहाज़ से आवश्यक चेतावनी संकेत वाले बोर्ड और रिबन लगाना, सड़क पर जगह-जगह फ्लैग मैन को तैनात करना, खस्ताहाल और दुर्घटना संभावित इलाकों में सड़क की हालत को दुरुस्त करना आदि कई गतिविधियों को निर्माण कार्य कर रही सभी निजी कंपनियों द्वारा अंतिम रूप दिया गया था।
मगर तभी अचानक से सोमवार सुबह ही निरीक्षण कार्यक्रम को बीच में ही अधूरा छोड़ कर वर्ल्ड बैंक की टीम मीनस नामक स्थान से फ़ेडिज की तरफ जाने की जगह वापस पांवटा साहिब लौट गई। लिहाज़ा निरीक्षण को आधे में छोड़ कर वर्ल्ड बैंक की टीम वापस क्यों लौटी इसको लेकर स्पष्ट तौर पर कोई जानकारी फिलहाल नहीं मिल पाई है।
आपको बताते चलें कि अवैज्ञानिक तकनीक व घटिया गुणवत्ता के कारण अक्सर विवादों में रहने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-707 की खामियों को केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय और निजी कंपनियों द्वारा बड़ी ही चतुराई के साथ छिपाया गया। जिन स्थानों पर दीवारें गिरी हुई थी वहां पर बड़े आकार वाले लोहे के बोर्ड लगाकर वर्ल्ड बैंक के अधिकारियों की नजर से छिपाया गया और क़ाफ़िले को वहां से आगे बढ़ा लिया गया।
धकोलि, गंगटोली, फ़ेडिज आदि स्थानों में दर्जनों ग्रामीण वर्ल्ड बैंक की टीम से मिलने के लिए कई घंटों तक इंतज़ार करते रहे। आत्मा राम, कपिल, राजेश चौहान, मंगत राम, ज्ञान प्रकाश, गुमान सिंह, उत्तमों देवी, कियार्शो देवी, रुकमणी ठाकुर, जयंती देवी, ग्यार सिंह, मोती सिंह आदि ने बताया कि निजी कंपनियों द्वारा बेतरतीब ढंग से मलबा डालकर उनके पेयजल स्त्रोतों को ख़त्म कर दिया गया है। पहाड़ तोड़ने के लिए भारी संख्या में डाइनमायट का उपयोग और अवैज्ञानिक तकनीक से की जा रही कटिंग के कारण मकानों की बुनियाद हिल गई। जिससे जमीन धंसती जा रही है। इसी सिलसिले में ग्रामीण वर्ल्ड बैंक की टीम से मिलकर न्याय की गुहार लगाना चाहते थे, मगर उन्हें मिलने नहीं दिया गया।
बलदेव सिंह, बिशन सिंह, हुकम चंद, अत्तर ठाकुर, चमन जोशी, नाथू राम चौहान, बिट्टू राणा, जोगेंद्र सिंह, अनिल पराशर, रमेश चौहान, सुरेश कुमार आदि लोगों ने बताया कि केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अधिकारियों और निर्माण कार्य कर रही निजी कंपनियों के कर्मचारियों द्वारा निरीक्षण के दौरान आम जनता को वर्ल्ड बैंक की टीम से मिलने नहीं दिया जाता है। उन्होंने बताया कि अगर सड़क निर्माण का कार्य नियमानुसार किया जा रहा है तो मोर्थ के अधिकारियों व निजी कंपनियों को गिरी हुई दीवारों के आगे लोहे के बोर्ड लगाकर वर्ल्ड बैंक की टीम से अपनी कमियां छुपाने की क्या ज़रूरत है।
उधर, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के परियोजना निदेशक विवेक पांचाल ने बताया की वो वर्ल्ड बैंक की टीम के साथ व्यस्त है। फिलहाल इस मामले पर कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं है। वहीं जब मंत्रालय के अन्य अधिकारियों से संपर्क किया गया तो किसी ने भी फोन नहीं उठाया।