शिलाई, 14 सितंबर : हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के शीर्ष नेता व उप नेता प्रतिपक्ष हर्षवर्धन चौहान 14 सितंबर को अपना जन्मदिन मना रहे हैं। ये रोचक इत्तफाक है कि विधायक के जन्मदिन के मौके पर ही मोदी सरकार ने ट्रांसगिरि को कबायली क्षेत्र घोषित करने का निर्णय लिया है।
1967 में पड़ोसी राज्य उत्तराखंड के जौनसार इलाके को जनजातीय क्षेत्र का दर्जा मिल गया था, लेकिन गिरिपार इससे वंचित रह गया। विधायक हर्षवर्धन चैहान का जन्म नाहन में 1964 में हुआ था, जब वो महज तीन साल के थे, तब पहली बार गिरिपार क्षेत्र को ट्राइबल का स्टेटस देने का मामला इस कारण उठा था, क्योंकि पड़ोसी राज्य के जौनसार को भी 1967 में अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्राप्त हुआ था।
बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार के इस निर्णय से 154 पंचायतें लाभान्वित होंगी। समूचे गिरिपार क्षेत्र में इस बात की खासी चर्चा है कि विधायक के जन्मदिन पर ट्रांसगिरि को एसटी का स्टेटस मिला है। महज 29 साल की उम्र में पहली बार विधायक बनने वाले हर्षवर्धन चौहान की राजनीति पर केंद्र सरकार का तोहफा क्या असर डालेगा, ये तो विधानसभा चुनाव के नतीजे ही तय करेंगे।
उल्लेखनीय है कि 1993 से 2003 तक हर्षवर्धन चौहान लगातार तीन बार विधायक बनने में भी सफल हुए थे। 2005 में मात्र चार महीने के लिए मुख्य संसदीय सचिव का ओहदा भी हासिल किया था। चुनाव आचार संहिता से चंद सप्ताह पहले निश्चित तौर पर राज्य सरकार ने मास्टर स्ट्रोक खेल दिया है।
दिलचस्प बात ये भी है कि बुधवार को ही हिन्दी दिवस भी मनाया जा रहा है, लेकिन चर्चा इस बात की हो रही है कि विधायक के जन्मदिन के मौके पर मोदी सरकार ने ट्रांसगिरि क्षेत्र के विधायक को जन्मदिन का गिफ्ट भेजा है।
आपको बता दें कि शिलाई विधानसभा का समूचा क्षेत्र गिरिपार में है, जबकि रेणुका विधानसभा क्षेत्र का करीब 80 प्रतिशत क्षेत्र भी ट्रांसगिरि में है। पुनर्सीमांकन के बाद धारटीधार व सैनधार की पंचायतें रेणुका जी में शामिल हुई थी, जो गिरि आर में है। इसके अलावा पच्छाद निर्वाचन क्षेत्र का 50 फीसदी हिस्सा भी हाटी में आता है।
उधर, पांवटा साहिब विधानसभा क्षेत्र में गिरिपार की लगभग 11-15 पंचायतें हैं।