नाहन, 12 सितंबर: ट्रांसगिरी को ट्राइबल स्टेटस का मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है। एक तरफ सरकार पर ट्राइबल स्टेटस का दबाव बढ़ता जा रहा है, वही दूसरी तरफ दलित संगठनो ने इसके विरोध में सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सोमवार को हिमाचल के राजगढ़ कस्बे में दलित संगठनों ने इस मुद्दे पर भाजपा और जयराम सरकार के खिलाफ धरना दिया, साथ ही प्रदर्शन में गहरा रोष प्रकट किया।
संगठन के पदाधिकारियों ने कहा कि समूचे हिमाचल के दलितों में इस बात का अंदेशा पैदा हो गया है कि केन्द्र की मोदी सरकार संविधान से छेड़छाड़ कर सकती है। ट्रांसगिरी के राजगढ़ में आयोजित “दलित रैली” में प्रदेश से जुटे दलितों ने सरकार को ट्राइबल स्टेटस के मुद्दे पर पुनर्विचार करने की चेतावनी दी है। वक्ताओं ने कहा कि सोमवार की रैली के बाद सरकार को पुर्नविचार के लिए विवश होना पड़ेगा। दलित संगठनों ने साफ कर दिया है कि विधानसभा चुनाव में एकतरफा भाजपा के खिलाफ वोट की जाएगी। साथ ही ये भी चेतावनी दी कि भाजपा के विरोध में पूरे हिमाचल में मुहिम चलाई जाएगी।
दलित संगठनों ने कहा कि भाजपा समर्थित हाटी समिति ने केन्द्र सरकार को झूठ बोला है, साथ ही झूठे आंकड़े पेश कर गुमराह किया गया है। वक्ताओं झूठे तथ्य देने वालो के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। दलित संगठनों ने रैली के दौरान ट्राइबल स्टेटस के लिए सौंपे गए आंकड़े पेश किए, साथ ही इनके झूठ होने का आरोप भी लगाया आरोप लगाया। वक्ताओं ने कहा कि आंकड़ों में बताया गया है कि ट्रांसगिरी में न तो सड़के है, न ही शिक्षण संस्थान।
आरोप लगाया गया कि क्षेत्र को एक जंगल की तरह अज्ञात दर्शाया गया है, जो बिल्कुल झूठ है। दलित संगठनों ने कहा कि हाटी समिति ने क्षेत्र के बारे में फर्जी आंकड़े केन्द्र सरकार को भेजे है, जिसमे ये भी कहा गया है कि ट्रांस गिरी में सिर्फ गेहूं उगाया जाता है, जबकि हकीकत यह है कि यहां के लोग बड़े पैमाने पर सब्जी और फूल का उत्पादन करते है। राजगढ़ का आडू एशिया में प्रसिद्ध है। दलित संगठनों ने कहा सरकार संविधान से छेड़छाड़ कर सकती है।
दलितों ने कहा कि मुख्यमंत्री शिलाई आते है और कहते है वो उनके मामा है। दलित संगठनों ने हाटी समिति को फर्जी हाटी बताया। कहा कि संपन्न लोगों का समूह नेताओं के सामने लोईया और टोपी पहनकर खुद को जनजाति बनने का दिखावा करते है। असल में तो हाटी दलित है, जो उनकी बेगार ढोते थे, बंधुआ थे। राजगढ़ के नेहरू मैदान में एकत्रित शिमला, सोलन और सिरमौर,लाहौल स्पीति व किन्नौर के अलावा उत्तराखंड के जौनसार बाबर से भी दलित समुदाय के लोग रैली में हिस्सा लेने पहुंचे थे। किन्नौर से पहुंचे दलित समाज के वक्ताओं ने आरोप लगाया कि जनजाति स्टेटस मिलने के बाद अत्याचार बढ़े, क्योंकि SC & ST प्रभावी नहीं रहा।
रैली में दावा किया गया कि गिरिपार अनुसूचित जाति अधिकार संरक्षण समिति के बैनर तले राज्य के तमाम संगठनों से हजारो की संख्या में समुदाय से जुड़े लोगों ने भाग लिया। जौनसार बाबर, लाहौल सहित लगभग 40 वक्ताओं ने विचार रखे। वक्ताओं ने एक जुट हो कर कहा कि अगर सरकार ने उनकी आवाज नहीं सुनी तो हिमाचल के 12 के 12 जिलों में सरकार के खिलाफ धरना व प्रदर्शन किये जायगे। समिति के प्रधान अनिल मंगेट ने हिमाचल के दलित संगठनों का इस मुद्दे पर सहयोग के लिए धन्यवाद किया।