नाहन, 06 सितंबर : 100 साल पुराना ‘बूढ़ा’ क्रिकेट पिच रोलर (cricket pitch roller) इस उम्र में भी नकारा नहीं है। वो चलता भी है, पिच को समतल कर खिलाड़ियों के लिए उम्दा भी बनाता हैं। बशर्ते ताकतवर लोग इस्तेमाल करें। हैंडल चोरी हो जाने की वजह से अब 20-25 जोशिले युवाओं की आवश्यकता इसे धकेलने को पड़ती है।
सोमवार सुबह करीब 8 बजे शहर के ऐतिहासिक चौगान मैदान में नाहन पीजी कॉलेज के करीब एक दर्जन युवा इसे धकेलने की कोशिश कर रहे थे। बमुश्किल इसे गड्ढे से निकाला गया। इसके पीछे मकसद ये था कि चौगान मैदान की पिच को समतल किया जाए।
यकीन मानिए, दो टन वजनी पिच रोलर को तो धकेल लिया गया, लेकिन पिच को समतल करने के लिए करीब दो किलो का पत्थर भी अहम भूमिका में था। पीजी काॅलेज के क्रिकेट खिलाड़ियों (cricket players) ने पिच तक पहुंचाया तो क्रिकेट प्रशिक्षक ‘संजीव सोलंकी’ संजू भाई एक दो किलो का पत्थर हाथ में लेकर मौजूद थे।
दरअसल, रोलर को धकेलने के बाद कुछ फीट की दूरी पर इसे पत्थर के साथ रोका जा रहा था। तकरीबन आधे घंटे की कड़ी मशक्कत से मखमली पिच तैयार हो गई। 101 बरस के हो चुके इस रोलर की बेशक ही मैदान के एक कोने में दुर्गति हो रही हो, लेकिन वो हमेशा इस्तेमाल के लिए तैयार रहता है।
लाजमी तौर पर आपके जहन में एक सवाल ये भी उठ रहा होगा कि ये क्रिकेट पिच रोलर (cricket pitch roller) कहां से आया होगा। इसको लेकर सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन इस पर उत्पादित होने का बरस 1921 लिखा हुआ है। बता दें कि 100 साल की उम्र पूरी करने वाली हरेक वस्तु को एंटीक (antique) की कैटेगरी में रखा जाता है। इस लिहाज से ये रोलर भी एंटीक है।
खास बात ये है कि रोलर क्रियाशील भी है। क्रियाशील होने की वजह से इसकी अलग अहमियत बन जाती है। ऐसा भी माना जाता है कि इसका निर्माण नाहन फाउंडरी में ही हुआ होगा। 1875 में बनी नाहन फाउंडरी के आयरन प्रोडक्ट समूचे भारत में एक अलग पहचान रखते थे।
ऐसा भी माना जा रहा है कि दो टन का क्रियाशील क्रिकेट पिच रोलर शायद ही भारत में किसी अन्य जगह पर होगा।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में संजीव सोलंकी ने कहा कि 1921 में बने रोलर का उपयोग क्रिकेट पिच को समतल करने के लिए किया गया। उन्होंने कहा कि काॅलेज की क्रिकेट टीम का कैंप चल रहा है। इसी के मद्देनजर पिच को समतल करना जरूरी था। उन्होंने कहा कि मुद्दत के बाद खिलाड़ियों ने रोलर को हिलाया है।
उल्लेखनीय है कि कुछ बरस पहले मोहल्ला गोविंदगढ़ के युवकों ने भी जुगाड़ से रोलर को चलाया था, लेकिन उस समय पिच को समतल नहीं किया गया था। कुल मिलाकर ऐसी अनोखी वस्तुओं को संरक्षण मिलना ही चाहिए।
ये खुशकिस्मती….
लाजमी तौर पर आप ये भी सोच रहे होंगे कि जब हैंडल चोरी हो गए तो इसे चोरी क्यों नहीं किया गया। दो टन के शुद्ध आयरन के इस रोलर की आज के समय में कीमत लाखों में हो सकती है। लेकिन चोरों के लिए इस पर हाथ साफ करना आसान नहीं है। पहली बात इसे हिलाने के लिए ही 20-25 की आवश्यकता होती है। अगर हो भी जाएं तो इसे गाड़ी में लादना नामुमकिन है। यही कारण है कि चौगान मैदान में ये रोलर 101 साल की उम्र पूरी कर चुका है।