रिकांगपिओ, 06 सितंबर : किसी की मजबूरी को अन्यथा में न ले, हो सकता है अच्छे दिन आने पर वो व्यक्ति ये साबित कर दे कि असल में वो बेईमान नहीं था बल्कि हालात ने उधार ले कर भागने पर मजबूर कर दिया था। ऐसा ही एक वाक्य किन्नौर से सामने आया है।
नेपाली मूल का एक व्यक्ति सांगे शेरपा तीन साल पहले ठेकेदारी करने किन्नौर पहुंचा था। इस दौरान उसने रिकांगपिओ के कुछ व्यापारियों से उधारी में समान लिया था। उधारी का यह सामान लगभग दो लाख तक पहुंच गया था। लेकिन नेपाली मूल के व्यक्ति को ठेकेदारी में घाटा हुआ, इस कारण वो व्यापारियों के पैसे वापस किए बिना ही नेपाल लौट गया। काफी समय तक जब वह वापस नहीं आया तो इन व्यवसायियों ने भी पैसे मिलने की उम्मीद छोड़ दी थी।
इसी बीच सांगे शेरपा काम के सिलसिले में अमेरिका (USA) पहुंच गया। यहां काफी समय तक मेहनत से पैसे इकट्ठे किए, फिर किन्नौर में अपने एक दोस्त के माध्यम से व्यवसायियों के पैसे वापस लौटा दिए। सांगे शेरपा के दोस्त जब पैसे देने दुकान पर पहुंचा तो व्यपारी हैरान हो गए। उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि जिस पैसे की उन्होंने उम्मीद छोड़ दी थी वो उन्हें वापिस मिल रहे हैं।
व्यापारियों ने नेपाली मूल के व्यक्ति सांगे शेरपा के ईमानदारी की भी जमकर तारीफ की। व्यक्ति ने रिकांगपिओ निवासी राज हार्डवेयर से 60 हज़ार 170, केसरी लाल से 37 हज़ार 255, नरेंद्र कुमार से 45000, लक्ष्मण दास से 54 हज़ार 295 रुपए चैको के माध्यम वापिस लौटा कर एक शानदार मिसाल कायम की है।