राजगढ़, 31 अगस्त : उद्घाटन के एक वर्ष बीत जाने पर भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हाब्बन के नए भवन में स्वास्थ्य विभाग बिजली पानी की व्यवस्था नहीं कर पाया है। जिसके चलते कर्मचारियों और अस्पताल में आने वाले रोगियों को परेशानी से जूझना पड़ रहा है।
बीते दिनों विभाग ने बिना बिजली पानी के आनन-फानन में पीएचसी को नए भवन में शिफ्ट कर दिया गया था। इस भवन में चिकित्सक के लिए भी आवास सुविधा उपलब्ध है, परंतु बिजली पानी न होने से इस अस्पताल के चिकित्सक प्राइवेट घर में रहने को मजबूर है।
बता दें कि बीते वर्ष तीन सितंबर 2021 को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के सराहां प्रवास के दौरान हाब्बन के अधूरे पीएससी भवन का स्थानीय भाजपा नेताओं द्वारा उद्घाटन करवा दिया गया था। पझौता स्वतंत्रता सैनानी कल्याण संघ के अध्यक्ष जयप्रकाश चौहान, सत्यापाल, सुभाष नंबरदार हड़ेच और निर्मल शर्मा ने पीएचसी में बिजली पानी न होने बारे चिंता जताई।
इनका कहना है कि पीएचसी के कर्मचारियों को बिजली पानी के बिना काफी दिक्कत पेश आ रही है। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी सार्वजनिक नलके से पानी ढोकर लाने को मजबूर है। उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा कि विभाग एक साल बीत जाने के बावजूद भी बिजली पानी की व्यवस्था नहीं कर पाया जोकि चिंता और चिंतन का विषय है।
श्रेय लेने की राजनीति नहीं होनी चाहिए। अधूरे भवन का उद्घाटन करवाने से मुख्यमंत्री पद की आमजन में छवि खराब हुई है। चुने हुए प्रतिनिधियों को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर कार्य करना चाहिए। चौहान ने हैरानी प्रकट करते हुए कहा कि 74 लाख की राशि व्यय होने के बावजूद भी इस भवन में विभाग द्वारा बिजली पानी की कोई व्यवस्था नहीं की गई है।
जय प्रकाश चौहान ने बताया कि पीएचसी में स्टाफ भी पूरा नहीं है। इस क्षेत्र की एक मात्र पीएचसी में मात्र एक डाॅक्टर व फार्मास्सिट कार्यरत है। जबकि पीएचसी में लैब न होने से मरीजों को टेस्ट करवाने के लिए राजगढ़ अथवा सोलन जाना पड़ता है। जबकि प्रदेश के सरकारी अस्पातालों में निःशुल्क लैब टेस्ट किए जा रहे है।
खंड चिकित्सा अधिकारी राजगढ़ डाॅ. उपासना शर्मा ने बताया कि बिजली के स्थाई कनेक्शन के एलटी लाइन बिछाने के लिए बिजली बोर्ड द्वारा 11 लाख का एस्टीमेट दिया गया है जिसे स्वीकृति हेतू निदेशालय भेजा गया है। इसी प्रकार पानी कनेक्शन का 50 हजार एस्टीमेट जेएसवी विभाग ने दिया है। स्वीकृति मिलने पर पीएचसी में बिजली पानी की व्यवस्था हो जाएगी।