नाहन, 28 अगस्त: हिमाचल प्रदेश का पांवटा साहिब विधानसभा क्षेत्र कई मायनों में प्रदेश के मानचित्र पर खास अहमियत रखता है। फिलहाल यहां के विधायक सुखराम चौधरी को राज्य में ऊर्जा मंत्री का रुतबा हासिल है। चुनाव की दहलीज पर इस निर्वाचन क्षेत्र में अजब-गजब परिस्थितियां पैदा हो चुकी हैं।
कांग्रेस में तो गुटबाजी एक दशक से भी पुरानी है। वैसे तो पूर्व विधायक किरनेश जंग चौधरी का टिकट कन्फर्म माना जा रहा था, लेकिन अचानक ही हरप्रीत सिंह भी सक्रिय हो गए हैं। ऐसा माना जा रहा है कि शिलाई के विधायक व उप नेता प्रतिपक्ष हरप्रीत सिंह की टिकट की वकालत कर रहे हैं।
विधायक हर्षवर्धन का किरनेश जंग चौधरी से 36 का आंकड़ा रहा है। चंद समय पहले तो आपसी मतभेद उस समय चिंगारी बन गए थे, जब नाहन के समीप सलानी रिजॉर्ट में पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह पहुंची थी। विधायक का तत्कालीन जिलाध्यक्ष कंवर अजय बहादुर सिंह से कार्यक्रम के निमंत्रण पत्र को लेकर मनमुटाव हुआ था।
इसके कुछ समय बाद ये चिंगारी उस समय शोला बन गई थी, जब शिमला से लौटते वक्त तत्कालीन जिला अध्यक्ष कंवर अजय बहादुर के साथ गाड़ी में पूर्व विधायक किरनेश जंग चौधरी की हर्षवर्धन समर्थकों के साथ झड़प हो गई थी। बाद में ये मामला पुलिस तक भी पहुंचा था।
उधर, भाजपा में भी सब कुछ ठीक ठाक नहीं कहा जा सकता। हालांकि, सीटिंग विधायक व ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी का टिकट इस कारण भी कन्फर्म माना जा रहा है, क्योंकि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने हाल ही में पांवटा प्रवास के दौरान चौधरी को टिकट का ग्रीन सिग्नल दे दिया है। लेकिन पार्टी में भी बगावती सुर पैदा हुए हैं।
आंजभोंज से ताल्लुक रखने वाले मनीष तोमर ने भाजपा के सुखराम चौधरी के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान कर सत्तासीन राजनीतिक दल में भी बगावती सुर पैदा कर दिए हैं।
रोचक बात ये है कि आम आदमी पार्टी भी धड़ेबाजी में शामिल हो चुकी है। कांग्रेस के तेजतर्रार नेता अनिंद्र सिंह नौटी ने आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया था, लेकिन इससे पहले कांग्रेस के युवा नेता मनीष ठाकुर भी आम आदमी में पहुंच चुके थे।
अटकलों की मानें तो आम आदमी पार्टी नौटी व मनीष को टिकट देना चाहती है। बताया जा रहा है कि इसके लिए नौटी को नाहन शिफ्ट करने पर मंथन हुआ, ताकि मनीष को पांवटा साहिब से चुनाव लड़वाया जा सके। दूसरा विकल्प ये हुआ कि मनीष को शिमला के ग्रामीण हलके से मैदान में उतारा जाए। ये कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह के विधायक बेटे विक्रमादित्य सिंह का गृह क्षेत्र है। एक वक्त में मनीष की विक्रमादित्य से खासी करीबियां रही हैं।
कुल मिलाकर दिलचस्प बात ये है कि तीनों ही राजनीतिक दलों में समीकरण गड़बड़ाए हुए हैं। यदि बाहती समुदाय से भी कोई प्रत्याशी मैदान में उतरता है तो जंग चौतरफा तो होगी, लेकिन तीन तरफ गुटबाजी होगी। ऐसे में देखने वाली बात ये है कि उंट किस करवट बैठता है।