संगड़ाह, 22 अगस्त : गिरीपार क्षेत्र को अनुसूचित दर्जा देने के विरोध में किंकरी देवी पार्क में गिरिपार अनुसुचित जाति अधिकार संरक्षण समिति द्वारा महारैली आयोजित की गई। केंद्रीय गिरिपार अनुसुचित जाति अधिकार संरक्षण के अध्यक्ष अधिवक्ता अनिल मंगेट की अध्यक्षता मे आयोजित इस प्रदर्शन में समिती पदाधिकारियों के अलावा कांग्रेस, भाजपा व CPIM आदि दलों के अनुसूचित जाति समुदाय के भी कईं कार्यकर्ता व नेता भी मौजूद रहे।
शनिवार को भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा अनुसूचित जनजाति के दर्जा दिए जाने का भरोसा दिए जाने के बाद से यहां जबरदस्त जातीगत ध्रुवीकरण हो चुका है, जिसके चलते भाजपा कांग्रेस के साथ-साथ हिमाचल व केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी के अनुसुचित जाति के कईं कार्यकर्ता व मंडल व जिला कमेटी पदाधिकारी भी इस प्रदर्शन मे शामिल हुए। एक और जहां हाटी समुदाय के लोगों ने रविवार को रेणुका जी में महा खुमली वा शाल शक्ति प्रदर्शन का आयोजन किया वहीं, सोमवार को दलित समाज ने महारैली से अपनी ताकत दिखाकर जवाब दिया। महारैली के बाद अनुसूचित जाति अधिकार संरक्षण समिति का जनसैलाब जब बस स्टैंड संगड़ाह से होते हुए मिनी सचिवालय पहुंचा तो सायं साढ़े 4 से साढ़े 5 बजे तक वाहनों के साथ-साथ आम लोगों की भी आवाजाही बाधित रही। वहीं समिति द्वारा एसडीएम डॉ. विक्रम नेगी के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ज्ञापन भेजा गया।
अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त दलित पर्यावरण प्रेमी किंकरी देवी पार्क में सोमवार को समिति की महारैली में विकास खंड संगड़ाह, शिलाई व राजगढ़ सहित गिरिपार की डेढ़ सौ के करीब पंचायतों से भारी संख्या में दलित कार्यकर्ता व अनुसूचित जाति के लोगों ने भाग लिया। इस दौरान गिरीपार को जनजातीय क्षेत्र घोषित न करने के साथ-साथ मनुवाद व जातिवाद से आजादी, जय भीम, कायम रहे सारे अधिकार, हाटी एक बहाना है, फर्जी हाटियों का निकलेगा तेल जैसे क्रांतिकारी व जातीवादी के नारे बार-बार गूंजे।
कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि मौजूद गिरीपार अनुसूचित जाति अधिकार संरक्षण समिति के अध्यक्ष अनिल मंगेट ने कहा कि कुछ लोगों द्वारा हाटी का ढोंग रचकर दलित समुदाय के लोगों को गुमराह किया जा रहा है। संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर द्वारा दिए अधिकारों को हमसे छीनने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि हम लोग अपने लोगों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ एकत्रित हुए हैं और हम लोग एकजुट रहेंगे तो हमारे अधिकारों को कोई छू तक नहीं सकेगा।
गिरीपार क्षेत्र में करीब 40% दलित समाज की आबादी को दरकिनार कर कुछ लोग राजनीति कर रहे हैं। हम लोग उनकी मंशा को कभी पूरा नहीं होने देंगे। गिरिपार से संबंधित दलित समाज के 3 विधायक, एमपी व कुछ अन्य दलित ने भी उनकी मांगों को नजरअंदाज किया है, जिसका जवाब विधानसभा इलेक्शन में दिया जाएगा। जनजातीय दर्जे से पंचायत व विधानसभा चुनाव में एससी का आरक्षण समाप्त होगा साथ ही एट्रोसिटी एक्ट निष्क्रिय होने से दलित समाज पर अत्याचार और बढ़ेगे।
मंगेट ने कहा कि देश एक ओर जहां आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, वहीं दूसरी और दलितों का शोषण जारी है। शिलाई में एडवोकेट जिंदान हत्याकांड जैसी घटनाएं दलितों पर अत्याचार का सबसे बड़ा सबूत है। दलित समाज की शामलात भूमि की लड़ाई संगड़ाह से दिल्ली तक पहुंचाई जाएगी। गिरिपार को जनजातीय दर्जा दिए जाने पर उन्होंने ऐसा ही जनसैलाब शिमला की सड़कों से होता हुआ दिल्ली तक पहुंचाने की भी चेतावनी दी।